इन्दौर। एनआईए (NIA) ने दो दिन पहले देशभर से टेरर फंडिंग (Terror Funding) की आशंका के चलते सौ से अधिक लोगों को पकड़ा है। इंदौर और उज्जैन से भी चार को पकड़ा गया है। अब पुलिस की नजर उनके मददगारों पर है। बताते हैं कि सिमी (SIMI) के जो पहले मददगार थे वे ही पीएफआई (PFI) को भी फंडिंग करते हैं।
पिछले कुछ सालों से पीएफआई शहर में भी सक्रिय है। एनआरसी के विरोध प्रदर्शन, चूड़ीवाला, देपालपुर के चांदखेड़ी दंगा, खरगोन दंगा, कोतवाली और रीगल पर प्रदर्शन जैसे सभी मामलों में पीएफआई की भूमिका सामने आई थी। इसके बाद से इंदौर पुलिस की इंटेलिजेंस विंग और स्पेशल ब्रांच की इन पर नजर थी। कई को चिह्नित भी किया गया था। यह भी सामने आया था कि सिमी पर प्रतिबंध लगने के बाद पीएफआई बनाया गया। इसके संस्थापक भी वही लोग हैं जो सिमी के थे, लेकिन एनआईए की कार्रवाई के बाद अब इनके मददगारों पर विंग की नजर है। बताते हैं कि शहर के एक दर्जन बड़े व्यापारी और उद्योगपति, जो पहले सिमी को फंडिंग करते थे, वे ही अब पीएफआई को फंडिंग कर रहे हैं। बताते हैं कि इनसे मिली मदद से पीएफआई ने कई गाडिय़ां और हथियार भी खरीदे हैं। इसके चलते अब इन एक दर्जन लोगों पर नजर रखी जा रही है। पुलिस एनआईए की कार्रवाई के बाद इन पर शिकंजा कस सकती है। वहीं एक दर्जन से अधिक लोगों को बांडओवर करने की भी तैयारी है। इसके चलते कुछ लोगों की अवैध संपत्ति की भी जांच की जा रही है, ताकि उनके मकान तोडऩे की कार्रवाई की जा सके।
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