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    नगर निगम द्वारा जारी होर्डिंग के टेंडर ही अवैध

  • April 04, 2023

    • मध्यप्रदेश आउटडोर विज्ञापन मीडिया नियम 2017 के तहत निकाले टेंडर, लेकिन टेंडर में नियमों का हर जगह उल्लंघन
    • कानून के मुताबिक 3 साल से ज्यादा का टेंडर ही नहीं निकाल सकते, लेकिन निगम ने जारी किया 7 साल का टेंडर

    इंदौर। इंदौर नगर निगम (Indore Municipal Corporation) द्वारा शहर में होर्डिंग के लिए निकाले गए टेंडर के घोटाले (tender scam) में राजस्व की हानि के साथ नियत स्थानों के बजाय कमाऊ स्थानों पर होर्डिंग ठोंके जाने और जनता की सुविधा के लिए बने फुटपाथों और यातायात के नियमों के उल्लंघन के साथ हाईकोर्ट की तौहीन जैसे खुलासों के बाद एक बड़ा खुलासा यह हुआ है कि निगम द्वारा जारी किए गए टेंडर ही अवैध हैं। निगम द्वारा यह टेंडर मध्यप्रदेश में विज्ञापनों के लिए बने कानून ‘मध्यप्रदेश आउटडोर विज्ञापन मीडिया नियम 2017’ के अंतर्गत जारी किए गए, जिसमें विज्ञापनों के लिए अनुमति अधिकतम तीन साल के लिए ही दी जा सकेगी, लेकिन निगम ने यह टेंडर सात साल के लिए जारी कर दिए, जो कानून के विपरीत है। इस तरह निगम द्वारा जारी किया गया टेंडर ही अवैध है। इसके अलावा शर्तों के तमाम उल्लंघन, यानी टेंडर का वर्ष 2019 से टैक्स शुरू होना, लेकिन 2022 में मंजूरी देकर राजस्व की हानि कराना, फुटपाथों पर होर्डिंग लगाने के साथ ही होर्डिंग की दूरियों के उल्लंघन जैसे मामलों के चलते टेंडर अवैध हो चुका है।

    ‘अग्निबाण’ द्वारा पिछले दिनों होर्डिंग घोटाले के मामले में शहर के बाहर की अनुमति होने के बाद भी मध्य शहर में बिना अनुमति होर्डिंग लगाए जाने और 2019 में फाइनल हुए टेंडर के वर्कऑर्डर तीन साल बाद जारी करते हुए कंपनियों को फायदा और निगम को 22 करोड़ से ज्यादा का चूना लगाए जाने जैसी खबरों के साथ ही हाइकोर्ट के आदेशों की तौहीन करते हुए यातायात में बाधक और लोगों के जानमाल को खतरा पहुंचाने वाले होर्डिंग लगाए जाने जैसे मामले उजागर किए थे। इसके बाद होर्डिंग के टेंडर की शर्तों के उल्लंघन और राजस्व की बड़ी हानि का मामला सामने आया था, लेकिन अब पता चला है कि निगम द्वारा होर्डिंग के लिए बुलाया गया और मंजूर किया गया टेंडर ही अवैध है। मध्यप्रदेश में विज्ञापनों के लिए राज्य शासन के नगरीय विकास एवं आवास मंत्रालय द्वारा 28 मार्च 2017 को मध्यप्रदेश नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 और 1961 के अंतर्गत प्रदेश में विज्ञापनों के लिए नया कानून बनाया गया था। इसे ‘मध्यप्रदेश आउटडोर विज्ञापन मीडिया नियम 2017’ नाम दिया गया था। इसके लागू होने के बाद प्रदेश में कहीं भी शासन या निजी व्यक्ति द्वारा लगाए जाने वाले विज्ञापनों पर इसके कानून अनिवार्य रूप से लागू होते हैं। निगम द्वारा 13 अगस्त 2019 को निकाले गए टेंडर भी इसी कानून के अंतर्गत निकाले गए थे, लेकिन इस कानून का नियम 7(2 ग और घ) कहता है कि सार्वजनिक या निजी भूमि पर वाणिज्यिक विज्ञापन संरचना पर आउटडोर मीडिया डिवाइस की अनुमति तीन वर्ष की होगी, जबकि निगम द्वारा जारी किए गए टेंडर सात सालों के लिए थे, जो शुरुआत से ही इस कानून के विपरीत होने के कारण अवैध हैं।


    सिर्फ पहली लाइन में कानून का हवाला, फिर पूरे टेंडर में घोटाला
    निगम द्वारा टेंडर जारी करते हुए सबसे पहली शर्त रखी गई थी कि ये सभी विज्ञापन प्रदेश में विज्ञापनों के लिए बनाए गए कानून ‘मध्यप्रदेश आउटडोर विज्ञापन मीडिया नियम 2017’ के नियमों के तहत ही लगाए जाएंगे, लेकिन पहली लाइन में यह बात लिखने के बाद पूरे टेंडर में निगम खुद ही कानून को ताक पर रखते हुए निजी कंपनियों को लाभ पहुंचाने के नियम बनाता गया। निगम ने खुद टेंडर यूनिपोल लगाने के लिए जारी किए गए नक्शे में इन स्थानों को चिह्नित तक करके दिया है, जहां फुटपाथ या सडक़ के अलावा और कोई जगह ही नहीं है। इस कानून का नियम 28 (1 ग) कहता है कि यूनिपोल की अनुमति फुटपाथों पर नहीं दी जा सकती, जबकि पूरे शहर में यूनिपोल फुटपाथों पर लगे हैं।

    क्या कहता है कानून और क्या है जमीनी हकीकत
    – आउटडोर मीडिया डिवाइस किसी भी तरह से पैदल संचालन को बाधित नहीं करेगा।
    सभी होर्डिंग/यूनिपोल फुटपाथ पर लगे होने के कारण पैदल चलने वालों के लिए बाधक।
    – सडक़ के मध्य में, जंक्शन जहां सडक़ विभक्त होती हो और फुटपाथ पर यूनिपोल की अनुमति नहीं दी जाएगी।
    सारे यूनिपोल फुटपाथ पर लगाए गए हैं। कई फुटपाथों से तो आने-जाने के रास्ते ही बंद कर दिए गए हैं।
    – जहां फुटपाथ मौजूद नहीं है वहां मौजूदा सडक़ के किनारे से तीन मीटर दायरे में यूनिपोल की अनुमति नहीं दी जाएगी।
    यहां तो फुटपाथों पर ही होर्डिंग लगा दिए गए और निगम देखता रहा। नियम का पालन नहीं।
    – जहां फुटपाथ मौजूद है, वहां फुटपाथ के किराने से तीन मीटर में यूनिपोल लगाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
    यूनिपोल फुटपाथ से तीन मीटर परिधि में भी नहीं लगाए जा सकते, लेकिन सभी फुटपाथ पर ही लगाए।
    – सडक़ के एक ही तरफ दो यूनिपोल के बीच की दूरी 50 मीटर से कम नहीं होगी।
    रीगल सर्कल पर ही तीन यूनिपोल लगाए गए हैं।
    – होर्डिंग पुरातत्वीय, सौंदर्यपरक, ऐतिहासिक या धरोहर महत्व के भवन, प्रतिमाएं और शैक्षणिक संस्थाओं के अंदर या इनकी दीवार पर नहीं लगाए जाएंगे।
    रीगल और मधुमिलन चौराहे पर गांधी और नेहरू प्रतिमा के पास ही यूनिपोल लगाए गए हैं।

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