एमौजे बला उनको भी जऱा
दो चार थपेड़े हल्के से
कुछ लोग अभी भी साहिल से
तूफ़ां का नज़ारा करते हैं।
शुकर है तूफान गुजऱ गिया। 40 घंटे में 15 इंच बारिश मायने रखती हेगी। आज सूरमा ने सुबा सुबा का मंजर देखा तो भयंकर सैलाब के गुजरने के निशां नुमायां हुए। भोपाल केने को तो सूबे की राजधानी हेगी बाकी झां पे सारी सहूलतें जैसे बड़े वालों यानी के पावरफुल लोगों के लिए ही होती हैं। 74 बंगला, 4 इमली, शिमला हिल पे बने मंत्रियों और अफसरों के पॉश इलाकों में बिजली जाती है ना पानी भरता है। अगर कोई दिक्कत बी होती है भाई मियां तो पेले से पेले उसे दुरुस्त कर दिया जाता है। दिक्कत परेशानी दूर करने के लिए इन पावरफुल इलाकों में एक नईं कजान कित्ता अमला तैनात रेता है। बाकी महामाई का बाग, गर्म गढ्ढा, ऐशबाग, बाग दिलकुशा, नारियल खेड़ा, सिंधी कालोनी, सैफिया कालिज से भोपाल टॉकीज़ वाला रोड सहित इदर नरेला और सेमरा की बस्तियों के हाल देखने की किसे फुरसत है। पानी हालांकि उतर गिया हेगा बाकी लोगों के घरों में घुसने के बाद तबाही के निशां भी छोड़ गया है। कई बस्तियों में तो खां अबी तलक लाइट ही नईं आई हेगी। बिजली कंपनी के काल सेंटर ने तो अपना फोन ही बंद कर दिया है। न कोई सुनने वाला न कोई कहने वाला। शहर के नालों की हकीकत इस बारिश ने बयां मर दी। अब आप ही बताइए इत्ते सालों में अपन शहर का सीवेज या पानी निकासी का सही सिस्टम ही नईं बना पाए। तीन दिनों की बारिश से बाद जैसे हालात होना बताता है कि आने वाले वखत में हालात खराब ही होने वाले हैं। ऐसा है साब के भोपाल के बेतरतीब विकास की वजे से ये हाल हुआ हेगा। बाकी पब्लिक सर्विस की हमारी सभी एजेंसियां किस कदर ठप जैसी हो जाती है इसपे बी गौर ओ फिकर करने की ज़रूरत है। नगर निगम हेल्प लाइन से लेके सीएम हेल्पलाइन और बिजली काल सेंटर ऐसे दौर में मिल्लत का साथ छोड़ देते हैं। ज़ाहिर है इन सब कारिंदों को कसने की ज़रूरत है। क्यों कि ये शहर सिरफ खास लोगों का नईं हेगा भाई मियां। झां पे आम पा पब्लिक बी रेती हेगी। अबी तो भोपाल की आबादी 22 लाख है, जब ये बढ़के 30 या 35 लाख से ऊपर पोचेगी तब क्या होयेगा। लिहाज़ा इससे पेले के पानी सर स ऊपर निकल जाए इन तमाम गढ्ढों को भर दिया जाना चाहिए।
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