भोपाल। वैवाहिक आयोजनों पर अब विराम लगने वाला है। आठ जुलाई तक सिर्फ आठ शुभ मुहूर्त शेष हैं। 9 जुलाई से 18 नवंबर तक 133 दिन विवाह के लिए इंतजार करना पड़ेगा। देवशयनी एकादशी से श्रीहरि विष्णु चार माह शयन करेंगे। दांपत्य सुख देने वाला शुक्र भी अस्त होगा। ज्योतिर्विद् आचार्य शिवप्रसाद तिवारी ने बताया कि विवाह के लिए जून में तीन और जुलाई पांच शुद्ध मुहूर्त हैं। 8 जुलाई को अबूझ मुहूर्त भड़ली नवमी पर बड़ी संख्या में वैवाहिक आयोजन होंगे। इस दिन गुप्त नवरात्र का समापन भी होगा। भड़ली नवमी को वसंत पंचमी, अक्षय तृतीया, देवप्रबोधिनी एकादशी की तरह अबूझ मुहूर्त माना जाता है। इसके बाद देवशयनी एकादशी 10 जुलाई से देवप्रबोधिनी एकादशी 4 नवंबर तक चातुर्मास रहेगा। इसके बाद भी वैवाहिक आयोजन की शुरुआत नहीं होगी। इसकी वजह विवाह के लिए आवश्यक शुक्र का अस्त होना। शुक्र 30 सितंबर से 18 नवंबर 49 दिन अस्त रहेगा। इसके बाद विवाह मुहूर्त 19 नवंबर से हैं। नवंबर में छह और दिसंबर में पांच विवाह के मुहूर्त रहेंगे।
सभी मांगलिक कार्यों पर रहेगी रोक
ज्योतिर्विद् विनीत त्रिपाठी ने बताया कि देवशयनी एकादशी से देवप्रबोधिनी एकादशी तक चातुर्मास माना जाता है। इन चार महीनों में विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन सहित कोई मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है। मान्यता है कि इस दौरान भगवान विष्णु क्षीरसागर में शयन करते हैं। देवप्रबोधिनी एकादशी के साथ विवाह की शुरुआत होती है, लेकिन इस बार शुक्र अस्त होने से विवाह मुहूर्त के लिए अतिरक्त 15 दिन इंतजार करना पड़ेगा।
धर्म-ध्यान और संतों की सेवा का समय
ज्योतिर्विद् नीलकंठ गुरुजी ने बताया कि चातुर्मास में श्रावण, भाधपद, आश्विन व कार्तिक मास आते हैं। यह समय मांगलिक कार्यों से इतर धर्म-ध्यान और संतों की सेवा के लिए उपयुक्त माना गया है। इस दौरान बैंगन, पत्तेदार सब्जियों, तला और मसालेदार भोजन ग्रहण नहीं किया जाता है। इस दौरान प्रभु आराधना के साथ व्रत-उपवास के जरिये आत्मोत्थान किया जाता है।
इस वर्ष विवाह मुहूर्त
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