नई दिल्ली। देश के 7.20 फीसदी नागरिकों के पास पासपोर्ट हैं। दिसंबर के मध्य तक 9.6 करोड़ लोगों के पासपोर्ट बन चुके थे। इनमें से अधिकांश पासपोर्ट बीते एक दशक में बने हैं। अगले कुछ माह में ये आंकड़ा 10 करोड़ तक पहुंचने वाला है।
विदेश मंत्रालय (MEA) के आंकड़ों के अनुसार, 2.2 करोड़ से अधिक या लगभग एक चौथाई (23%) पासपोर्ट केरल और महाराष्ट्र में जारी किए गए। तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, पंजाब, गुजरात और कर्नाटक उच्च संख्या वाले अन्य बड़े राज्यों में शामिल हैं।
हालांकि, आजादी के 75 सालों की तुलना में देखें तो कुल पासपोर्ट की यह संख्या मामूली है। इसकी वजह यह रही कि हाल ही तक पासपोर्ट जारी करने की नीति बहुत सख्त थी। हाल ही में विदेश जाने की आशंका बढ़ी है, इसलिए पासपोर्ट बनवाने वालों की संख्या भी बढ़ी है। इसी कारण केंद्र सरकार पासपोर्ट सेवा केंद्रों की (PSKs) की संख्या बढ़ा रही है।
मात्र 6 दिन में बन रहे पासपोर्ट
सरकार की उदार व आसान पासपोर्ट नीति के कारण अब औसत रूप से छह दिन में पासपोर्ट बन जाते हैं, जबकि 2015 में 21 दिन लगते थे। 2015 और 2022 के बीच कम से कम 368 नए पासपोर्ट सेवा केंद्र बनाए गए। 2014 में 153 की तुलना में 2022 में पीएसके की संख्या में 340 फीसदी की वृद्धि हुई है। विदेशों में भी 140 से अधिक भारतीय मिशनों में पासपोर्ट जारी किए जाते हैं।
इस साल 1.1 करोड़ पासपोर्ट जारी
देश में प्रति व्यक्ति आय बढ़ने, नियमों में ढील और विदेशों में शिक्षा और नौकरी के अवसरों में वृद्धि के कारण पासपोर्ट आवेदकों की संख्या बढ़ रही है। इस वर्ष 12 दिसंबर तक 1.1 करोड़ से अधिक पासपोर्ट जारी किए जा चुके हैं। इनमें से 10.5 फीसदी विदेशों में भारतीय मिशनों द्वारा जारी किए गए हैं। यह 2021 में जारी किए गए पासपोर्ट की संख्या से 36 फीसदी अधिक है और 2020 में कोविड-19 वर्ष की तुलना में 81.5% अधिक है।
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