उज्जैन। प्रदेश के अन्य जिलों के मुकाबले उज्जैन जिले में वन क्षेत्र का दायरा 42 वर्ग किलोमीटर में सिमटकर रह गया है। वहीं शहरी क्षेत्र में सरकारी जमीन पर लगे पेड़-पौधे भी अब सुरक्षित नहीं हैं। निजी स्वार्थ के चलते इन्हें वन विभाग और नगर निगम से बिना परमिशन लिए काटा जा रहा है। ऐसा ही एक मामला नानाखेड़ा क्षेत्र में कॉसमॉस मॉल के पीछे बनी पार्किंग के सामने की सरकारी सड़क पर लगे पेड़ों को काटने का सामने आया है। नगर निगम एक ओर शहरी क्षेत्र में हरियाली बढ़ाने के लिए अभियान चला रहा है और नागरिकों को अपने गली-मोहल्लों और कॉलोनियों में पेड़ लगाने के लिए जागरुक कर रहा है। इतना ही नहीं पेड़ लगाने वाले लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए नगर निगम ने पुरुस्कार देने की घोषणा भी कर रखी है। दूसरी ओर नानाखेड़ा क्षेत्र में निजी स्वार्थ के चलते हरे-भरे पेड़ों को काटा जा रहा है।
क्षेत्र के लोगों का कहना है कि हाल ही में इस क्षेत्र में स्थित कॉसमॉस मॉल के पीछे पार्किंग की बाउंड्री से सटे सरकारी जमीन पर उगे सालों पुराने गुलमोहर के पेड़ को मॉल के प्रबंधक ने खुद खड़े रहकर कटवाया है। निगम सूत्रों का कहना है कि इस पर जब प्रबंधक दीपक शर्मा से पेड़ काटने पर आपत्ति जताई गई और इसकी परमिशन के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया तथा कहा कि वे निगम के वरिष्ठ अधिकारियों से बात करेंगे। इस बारे में आज सुबह जब प्रबंधक दीपक शर्मा से चर्चा की गई तो उन्होंने अग्निबाण प्रतिनिधि से कहा कि आप मॉल आ जाइऐ। मैं आपको समझाता हूं। कुल मिलाकर सरकारी जमीन पर लगे पेड़ को काटने के बाद यहां से कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया जा रहा। निगम अधिकारियों को इस पर संज्ञान लेना चाहिए।
सरकार पेड़ों को काटने के लिए कड़ा कानून बनाएं
उल्लेखनीय है कि उज्जैन जिले का कुल क्षेत्र फल 6 हजार 91 वर्ग किलोमीटर है। इसमें से उज्जैन शहर का दायरा 92.68 वर्ग किलोमीटर तक फैल गया है। जबकि उज्जैन शहर तथा जिले में मौजूद कुल वन विभाग की जमीन का क्षेत्रफल 42 वर्ग किलोमीटर है। ऐसे में जिले के कुल क्षेत्रफल 6 हजार 91 वर्ग किलोमीटर के मुकाबले जंगल के लिए बची जमीन अब 1 प्रतिशत से भी कम रह गई है।
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