नगर निगम खर्च करता है सालाना 160 करोड़ और बदले में मिल रहे हैं सिर्फ 40 करोड़ ही
इंदौर। नगर निगम प्रतिमाह कचरा संग्रहण शुल्क की वसूली करने में बड़ी दिक्कतें आती हैं। पहले तो कोरोना संक्रमण के चलते कफ्र्यू-लॉकडाउन लगा रहा, जिसके कारण निगम वसूली में पिछड़ा और पूर्व के वर्षों की भी राशि रहवासियों से बकाया है। शहर को स्वच्छता में नम्बर वन बनाए रखने के लिए नगर निगम हर घर, दुकान से कचरा एकत्रित करता है और इस पर उसे सालाना 160 करोड़ रुपए खर्च करना पड़ रहे हैं, जबकि इसके बदले कचरा संग्रहण शुल्क के माध्यम से उसे सिर्फ 40 करोड़ रुपए ही हासिल होते हैं। यानी 120 करोड़ रुपए उसे अपने खजाने से खर्च करना पड़ रहे हैं। मात्र 28 फीसदी रहवासी ही यह शुल्क जमा कर रहे हैं।
नगर निगम सम्पत्ति और जल कर तो साल में अग्रिम शुल्क भरवाकर और छूट देकर एक साथ जमा करवा लेता है। हालांकि जल कर के भी तीन-तीन माह में बिल भिजवाए जाते हैं। वहीं कचरा संग्रहण शुल्क भी लगभग 4 साल से निगम वसूल कर रहा है। लगातार चार बार स्वच्छता में नम्बर वन आने वाले निगम को कचरा संग्रहण और उसके निपटान पर ही 160 करोड़ रुपए सालाना खर्च करना पड़ते हैं। लिहाजा निगम रहवासियों से प्रतिमाह 60 रुपए से लेकर 150 रुपए तक की राशि कचरा संग्रहण की वसूलता है और दुकानदारों व व्यावसायिक प्रतिष्ठानों से यह राशि 100 से लेकर 180 रुपए प्रतिमाह की है। वहीं बड़े हॉस्पिटल, होटल, शॉपिंग मॉल और अन्य प्रतिष्ठानों में निगम ने कचरा निपटान संयंत्र भी लगवाए हैं। इसके अलावा नगर निगम मेडिकल वेस्ट भी अलग से एकत्रित करवाता है। इसके लिए सभी हॉस्पिटल, नर्सिंग होम, पैथोलॉजी लैब को निर्धारित शुल्क चुकाना पड़ता है। निगम का कहना है कि 5 लाख परिवारों से कचरा संग्रहण शुल्क लिया जाता है, जो उसके सम्पत्ति करदाता भी हैं, लेकिन उनमें से 1 लाख 40 हजार यानी 28 प्रतिशत रहवासी ही कचरा संग्रहण शुल्क चुकाते हैं। लिहाजा अब बचे हुए इन साढ़े 3 लाख रहवासियों से 31 दिसम्बर तक कचरा संग्रहण शुल्क की बकाया राशि वसूल की जाएगी, जिसके लिए निगम ने अभियान भी शुरू कर दिया है। सेवन स्टार रेटिंग हासिल करने के लिए भी उसकी शर्त के मुताबिक निगम को शत-प्रतिशत कचरा संग्रहण शुल्क रहवासियों से वसूल करना पड़ेगा। कम से कम 70 प्रतिशत रहवासी और 90 प्रतिशत व्यावसायिक उपभोक्ता यह शुल्क चुकाएंगे, तब ही निगम सेवन स्टार रेटिंग सर्टिफिकेट के लिए आवेदन कर सकेगा। लिहाजा रोजाना ढाई हजार से अधिक बकायादारों से सम्पर्क कर उनसे राशि जमा करवाई जा रही है।
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