इंदौर (Indore)। अगस्त माह के शुरुआत के साथ ही शहर में डेंगू बुखार के मरीजों की संख्या दो गुना रफ्तार से बढ़ रही है, मगर एमवाय हॉस्पिटल की ब्लड बैंक में प्लेटलेट्स निकालने वाली सिर्फ 25 किट ही मौजूद है, जबकि एमवाय ब्लड बैंक के ऊपर जरूरत पडऩे पर महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज से सम्बंधित एमवाय, चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय, सुपर स्पेशलिटी, एमटीएच हॉस्पिटल, मनोरमा टीबी सेंटर के अलावा जिले के सभी सरकारी अस्पतालों को प्लेट्लेट्स सप्लाई की जिम्मेदारी है।
शहर में अभी तक लगभग 12 इलाको में डेंगू बुखार के मरीज सामने आ चुके हैं। हर दिन मरीजों की संख्या दो गुना रफ्तार से बढ़ रही है। डेंगू बुखार के दौरान मरीज या उसके परिजनों की लापरवाही अथवा इलाज में देरी के चलते प्लेट्लेट्स की संख्या बड़ी तेजी से घटने लगती है। इस वजह से मरीज की जान को खतरा पैदा हो जाता है। तब डॉक्टर मरीज को हाथोहाथ प्लेट्लेट्स चढ़ाते है। तब ब्लड डोनर के ब्लड से प्लेट्लेट्स निकालकर मरीज को चढ़ाया जाता है।
एक किट का इस्तेमाल सिर्फ 1 बार
ब्लड बैंक स्टाफ के अनुसार प्लेटलेट निकालने के लिए एसडीपीए किट का इस्तेमाल किया जाता है। एक किट का उपयोग सिर्फ एक बार ही किया जा सकता है। इस समय ब्लड बैंक में लगभग 25 एसडीपीए किट मौजूद है। इस किट की बाजार में लगभग 10,000 रुपए कीमत है।
बिना किट के 5 ब्लड डोनर्स की जरूरत
बिना किट के 200 एमएल प्लेट्लेट्स निकलने के लिए 5 ब्लड डोनर्स की जरूरत पड़ती है, क्योकि एक यूनिट ब्लड से सिर्फ 40 एमएल प्लेट्लेट्स निकाले जा सकते हैं। इस प्रक्रिया में लगभग 4 से 5 घण्टे का समय लगता है। जिनके ब्लड से प्लेट्लेट्स बनाए जाते हैं, उनको यह ब्लड फिर वापस नहीं चढ़ाया जा सकता।
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