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    पंचायत चुनाव में प्रत्याशियों को मात्र 18 दिन का समय

  • May 28, 2022

    इन्दौर। पंचायत चुनावों को लेकर कल दोपहर से आचार संहिता लागू हो गई। इस बार पंच-सरपंच, जनपद सदस्य और जिला पंचायत के सदस्यों को मात्र 18 दिन का समय ही चुनाव प्रचार के लिए मिलेगा, क्योंकि 6 जून नामांकन की आखिरी तारीख है और 23 जून को प्रचार समाप्त हो जाएगा। दोनों ही राजनीतिक दलों के नेताओं ने संभावित प्रत्याशियों को तैयारी करके रखने को कहा है, ताकि पार्टी नाम घोषित करे और वे नामांकन भरकर चुनाव प्रचार शुरू कर दें।

    शुरू से ही माना जा रहा था कि चुनाव प्रचार के लिए ज्यादा समय नहीं मिलेगा। यही स्थिति नगरीय निकाय चुनाव में भी होने की संभावना है। माना जा रहा है कि नगरीय निकाय के लिए आयोग दो-चार दिन में तारीखों का ऐलान कर सकता है और जुलाई की शुरुआत में मतदान की तारीख आ सकती है। ऐसा रहा तो शहरी क्षेत्र में भी प्रचार के लिए ज्यादा समय नहीं मिलेगा। ग्रामीण क्षेत्रों में चुनावी गतिविधियों ने जोर पकड़ लिया है और कल आचार संहिता लगने के बाद से ही कई नेता लोगों से मिलने-जुलने लग गए हैं। कुछ गांवों में जरूर पिछली बार निर्विरोध जीते प्रत्याशी फिर से वही समीकरण बनाने में जुट गए हैं।


    बारिश हुई तो किसान लग जाएंगे बोवनी में, गिरेगा मतदान का प्रतिशत
    राजनीतिक दलों के ग्रामीण नेताओं को यही चिंता…25 जून तक सब सामान्य रहे पंचायत चुनाव तो घोषित हो गए हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र के नेताओं को बारिश की चिंता सता रही है। अगर बारिश सही समय पर हो गई तो किसान बोवनी में लग जाएंगे और इससे मतदान के प्रतिशत पर असर पड़ सकता है। किसानों ने खेतों को बखेर दिया है और अब इनमें फसल बोने की तैयारी है। खरीफ की जो फसल बोई जाती है वह बारिश होने के बाद ही बोई जाती है और उसमें किसान को कम से कम 15 से 20 दिन लग जाते हैं। वहीं किसानों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्र के मजदूर भी बड़ी संख्या में इस काम में लग जाते हैं।

    चूंकि पंचायत चुनाव का मतदान 25 जून को है और तब तक मानसून आने की भविष्यवाणी भी हो चुकी है। वैसे मानसून 15 दिनों में प्रदेश में प्रवेश कर जाएगा। ऐसे में सभी किसान बोवनी में लग जाएंगे और मतदान के प्रतिशत पर असर पड़ेगा। वहीं बारिश के कारण ग्रामीण क्षेत्रों के नदी-नाले भी भर जाएंगे। कुछ गांवों की तो कनेक्टिविटी भी दूसरे गांवों से टूट जाती है, जिससे आने-जाने में परेशानी होती है। राजनीतिक दलों को अब यही चिंता सता रही है। मतदान का कम प्रतिशत किस दल को नुकसान करेगा इस बारे में कहा नहीं जा सकता। कांग्रेस ने इस मामले में निर्वाचन आयोग को पत्र भी लिखा था, लेकिन कल चुनाव की घोषणा कर ही दी गई।

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