उज्जैन। दो सत्र से स्कूल बंद है और अब तीसरा सत्र शुरू हो चुका है। प्रदेश सरकार के आदेश के 50 प्रतिशत क्षमता के साथ ऑफलाइन स्कूल शुरू करने के बाद भी जिले के सभी स्कूलों में ऑनलाईन शिक्षा का सिस्टम बदस्तूर जारी है लेकिन अब ऑनलाइन पढ़ाई कहने कहीं बच्चों के मानसिक विकास में अवरोध बन रही है।
मोबाइल की एलईडी स्क्रीन पर लगभग 2 सालों से रोज लगभग 3 से 4 घंटे पढ़ाई करने से बच्चों की आंखों पर गहरा असर पड़ रहा है और लगातार मोबाइल देखने से न सिर्फ आंखों पर बल्कि बच्चों के मस्तिष्क पर भी गहरा दुष्प्रभाव हो रहा है। यहां तक की पढ़ाई करते वक्त कान में एयर फोन लगाने के कारण से कई बच्चों में कान का सूजन, दर्द एवं सुनने की क्षमता में असर होने लगा है।
ऑनलाइन पढ़ाई के और क्या है दुष्परिणाम
पिछले 2 सालों से ज्यादातर स्कूल पुराने अपलोडेड वीडियो जगह-जगह से उठाकर बच्चों को शेयर कर रहे हैं। सामग्री पाठ्यक्रम अनुरूप न होने के कारण इसे समझने में बच्चों को परेशानी हो रही है, वहीं दूसरी ओर ज्यादातर सरकारी स्कूल एवं ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में बच्चों के पास ऑनलाइन शिक्षा के संसाधन नहीं होने से वो ऑनलाइन पढ़ाई करवा पाने में असमर्थ हैं। वैसे भी ऑनलाइन पढ़ाई के लिए बच्चों के पास भी तो मोबाईल और लैपटॉप की व्यवस्था होनी जरूरी हैं, लेकिन सरकारी एवं विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में ऑनलाइन शिक्षा के संसाधन ना होने की वजह से पिछले 2 सालों से पढ़ाई अवरुद्ध है। ऐसे में ऑनलाइन शिक्षा की सार्थकता पर स्वयं सवाल उठ जाते हैं। जिला शिक्षा अधिकारी रमा नाहटे ने बताया कि 50 प्रतिशत क्षमता के साथ सरकारी एवं प्राइवेट स्कूलों में को नए शिक्षा सत्र को ऑफलाइन शुरू करने के लिए कहा गया है वह भी हफ्ते में 2 दिन। कुछ तकनीकी कमियों जिनमें पालकों में कोरोना की तीसरी लहर का डर होना, बच्चों को वैक्सीन ना लगाया जाना, पूरी क्षमता के साथ ऑफलाइन स्कूल ना लगाए जाने के कारण बस संचालक का बस ना चलाए जाना आदि की वजह से सरकारी एवं प्राइवेट स्कूलों में बच्चे ऑफलाइन नहीं जा पा रहे हैं। इस प्रकार कुल मिलाकर देखा जाए तो ऑनलाइन ओर ऑफलाइन दोनों स्थितियों में कई समस्याओं के कारण ना शिक्षा सत्र भी बच्चों की शिक्षा के लिए दिशाहीन और असंतुलित हो रहा है, वहीं सरकार भी कोरोना की तीसरी लहर के आशंका के चलते निर्णय नहीं ले पा रही है। लगातार 2 साल घर की चारदीवारी में और ऑनलाइन पढ़ाई के कारण बच्चे मानसिक तनाव महसूस कर रहे हैं जिसके चलते बच्चों को बिना परीक्षा दिए पास करने का निर्णय सरकार ने लिया। बरहाल नया सत्र भी ऑनलाइन और ऑफलाइन के पेंच से शुरू हुआ है अगर यह सत्र भी ऑनलाइन रहा तो बच्चों पर मानसिक दबाव और बढ़ेगा,वहीं अगर सत्र ऑफलाइन हुआ तो पालकों के लिए बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर चिंता बढ़ाएगा।
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