इंदौर (Indore)। शहर के विकास के साथ ही विकसित हो रही कॉलोनियों को भी अब लंबे समय तक लाइसेंस लेने और अनुमतियों के लिए इंतजार नहीं करना पड़ेगा। बिल्डरों और कॉलोनाइजरों के लिए ऐप बनकर तैयार है। पहले चरण में लाइसेंस की प्रक्रिया को शुरू किया जा रहा है। इसके बाद विकास अनुमति कंप्लीशन सर्टिफिकेट की प्रक्रिया भी ऑनलाइन ही हो सकेगी। 7 दिन में ऐप का उद्घाटन कर ऑनलाइन कर दिया जाएगा। आम जनता को धोखेबाजी से बचाने, अवैध कॉलोनी का निर्माण रोकने के लिए जिला प्रशासन ने कॉलोनी सेल के माध्यम से नई व्यवस्था शुरू की है।
कलेक्टर के निर्देश पर बनाए गए ऐप को विभाग ने ऑनलाइन करने की तैयारी कर ली है। लगभग 7 दिन बाद कॉलोनाइजरों को कॉलोनी की परमिशन, लाइसेंस लेने या विभिन्न तरह के दस्तावेज जमा करने से लेकर शुल्क जमा करने के लिए कलेक्टर कार्यालय के चक्कर नहीं काटना होंगे। अपर कलेक्टर गौरव बैनल के अनुसार मैप आईटी ने ऐप बनाने का काम पूरा कर लिया है। सबसे पहले प्रथम मॉड्यूल के रूप में कॉलोनी के लाइसेंस बनाने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है, जिसका डेमोस्ट्रेशन, टेस्टिंग लगभग पूरी हो चुकी है। स्टेकहोल्डर ने इसे हरी झंडी भी दिखा दी है। अब इसे अगले 7 दिनों में ऑनलाइन कर दिया जाएगा। इसके माध्यम से कॉलोनाइजर पेमेंट से लेकर आवेदन भरने तक की प्रक्रिया घर बैठे ही कर सकेंगे। डॉक्यूमेंट अपलोड करने के साथ-साथ विकास अनुमति व कंप्लीशन सर्टिफिकेट लेने के लिए भी कॉलोनाइजरों को कॉलोनी सेल के चक्कर नहीं काटना होंगे।
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विकास नहीं तो एक क्लिक पर आएगा सामने
आमतौर पर देखा जाता है कि कॉलोनाइजर कॉलोनी काटने के बाद विकास बहुत धीमी गति से करते हैं। एक कॉलोनी सालों तक डेवलप नहीं हो पाती है, जिसके कारण आम जनता भारी परेशानी का सामना करती है। अब इस ऐप के माध्यम से 3 साल के प्रकरण सामने आ जाएंगे। एक क्लिक पर देखा जा सकेगा कि किसने समय बीत जाने के बाद भी कंप्लीशन सर्टिफिकेट नहीं लिया है। उन कॉलोनाइजरों पर आसानी से प्रशासन लगाम कस सकेगा। काम लटकाने वाले कॉलोनाइजर भी अब हमेशा रडार पर रहेंगे।
कम होगा भ्रष्टाचार
कच्ची जमीनों पर कॉलोनी काटने और डायरी पर प्लाट बेचने वालों पर भी ऐप के माध्यम से लगाम लग सकेगी। जल्दी लाइसेंस की प्रक्रिया पूरे होने से बिल्डर भी कॉलोनी का विकास जल्दी करेंगे, वहीं फेसलेस प्रक्रिया शुरू होने से कॉलोनी के डेवलपमेंट और विकास के दौरान होने वाले भ्रष्टाचार में भी भारी कमी आएगी। अब कॉलोनाइजरों को कॉलोनी की अनुमति लेने के लिए बिचौलियों के भरोसे नहीं रहना होगा। ज्ञात हो कि कई एवजी, दलाल और विभाग के ही कर्मचारी काम करने के नाम पर बिल्डरों से मनमाना शुल्क वसूलते हैं, जिस पर लगाम लग सकेगी।
फाइलों से मिलेगी मुक्ति
विभाग इन दिनों सभी तरह के दस्तावेजों को ऑनलाइन करने की प्रक्रिया पूरी कर रहा है। ऑनलाइन डॉक्यूमेंट अपलोड करने की प्रक्रिया पूरी होते ही सभी कॉलोनाइजरों और बिल्डरों के दस्तावेज और जानकारी एक क्लिक पर मुहैया कराई जा सकेगी। पेपर वर्क खत्म होने से जहां फाइलों से अधिकारियों को मुक्ति मिल जाएगी, वहीं काम में भी तेजी आएगी। अभी किसी भी तरह की जानकारी निकालने के लिए विभाग को फाइल पलटना पड़ती है या रजिस्ट्रार कार्यालय से जानकारी लेना पड़ती है। अब विभाग के पास अपना स्वयं का डाटा सुरक्षित होगा।
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