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    कोविड में ऑनलाइन कक्षाओं से बच्‍चों के दिमाग पर पड़ा बुरा असर, 52% बच्चे हुए चिड़चिड़े : सर्वे

  • December 13, 2022

    नई दिल्‍ली । कोविड (covid) के दौरान बच्चों की पढ़ाई का नुकसान तो हुआ है, लेकिन साथ ही मानसिक तनाव (mental stress) के कारण उनके व्यवहार में चिड़चिड़ापन (irritability) भी बढ़ गया है। अलग-अलग कक्षाओं में 48-52 फीसदी तक पढ़ाई पर खराब असर (side effect) हुआ है।

    दिल्ली सरकार की ओर से कोविड के दौरान बच्चों की पढ़ाई, उनके मानसिक स्वास्थ्य व व्यवहार पर पड़े असर को लेकर कराए गए अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है। सर्वे रिपोर्ट के आधार पर ऑनलाइन कक्षाएं सिर्फ बेहद आपात स्थिति में लागू करने की व्यवस्था के साथ बच्चों को इसके लिए जरूरी यंत्र उपलब्ध कराने की भी सिफारिश की गई है।

    दिल्ली सरकार ने अप्रैल 2022 में कोविड के दौरान ऑनलाइन कक्षाओं को लेकर बच्चों पर पड़े असर को लेकर एक अध्ययन किया। इसमें कक्षा एक से 12 तक के 9087 बच्चों, 1753 अभिभावकों और 1772 शिक्षकों को शामिल किया गया। इनमें सरकारी व निजी दोनों तरह के स्कूलों को शामिल किया गया। सर्वे में सामने आया कि बच्चों के तनाव के कई कारण रहे।

    पहला 90 फीसदी बच्चों ने ऑनलाइन के बजाय फिजिकल कक्षाओं को याद किया। ऑनलाइन कक्षा लेने वाले 33 फीसदी छात्रों के पास बेहतर इंटरनेट कनेक्टिविटी नहीं थी या लिमिटेड कनेक्टिविटी थी। 20 फीसदी छात्रों के पास तो ऑनलाइन कक्षाओं के लिए कोई टूल (मोबाइल, टैब या लैपटॉप) ही नहीं था। 35 फीसदी छात्रों के अभिभावकों की नौकरी चली गई थी। कई ऐसे थे जिनके आय में कटौती हुई थी।


    यही वजह रही कि ऑनलाइन कक्षाओं में सिर्फ 60 फीसदी छात्र-छात्राएं की रेग्यूलर क्लास में शामिल रहे। 90 फीसदी बच्चों ने कहा कि शिक्षकों ने पढ़ाई सामग्री शेयर की। वहीं, 80 से 86 फीसदी विद्यार्थी शिक्षकों के संपर्क में रहे। 72 फीसदी छात्रों ने इस दौरान माइंडफुलनेस अध्ययन कर रहे थे।

    बड़ी कक्षाओं के बच्चों ने छोटे छात्रों की तुलना में ज्यादा मानसिक तनाव लिया। कक्षा 9 से 12 के 74 फीसदी बच्चों ने परीक्षा को लेकर व 65 फीसदी ने ऑनलाइन कक्षाओं के दौरान तनाव लिया। कक्षा 5 से 8 तक के 65 फीसदी छात्रों ने परीक्षा और 58 फीसदी ने ऑनलाइन कक्षाओं को लेकर तनाव लिया। कक्षा एक से चार तक के 75 फीसदी छात्र-छात्राएं खुश दिखे, सिर्फ 25 फीसदी में तनाव दिखा।

    अध्ययन में यह सिफारिश की गई हैं
    ● बच्चों को बोलने व खुलने का मौका दिया जाए और क्लासरूम में ही इसके लिए अलग से एक टाइम स्लॉट बनाया जाएं।
    ● स्कूल बंद होने से बच्चों की पढ़ाई जो असर पड़ा है उस गैप को भरने के लिए शिक्षकों के ब्रिज क्लास चलाना चाहिए।
    ● बेहद आपात स्थिति में ही स्कूल बंद करके ऑनलाइन क्लास की तरफ आगे कदम बढ़ाया जाना चाहिए।
    ● ऑनलाइन कक्षाओं अनुपस्थिति को कम करने के लिए बच्चों को प्री लोडेड टैब सरकार के खर्च पर उपलब्ध कराएं जाएं।
    ● बड़े बच्चों में अधिक तनाव देखने को मिला है, उसके लिए समय-समय पर काउंसलिंग की व्यवस्था होनी चाहिए।

    इस कारण ऑनलाइन कक्षाओं से बनाई दूरी
    ● 33 फीसदी छात्रों के पास इंटरनेट की अच्छी कनेक्टिविटी नहीं थी।
    ● 15 से 20 फीसदी छात्रों के पास ऑनलाइन कक्षाओं के लिए डिवाइस नहीं था।
    ● 30 से 35 बच्चों के अभिभावकों की नौकरी छूट गई।

    क्या रहा परिणाम
    ● 45 से 48 फीसदी शिक्षकों ने कहा कि बच्चों पर ऑनलाइन कक्षाओं का नकारात्मक असर पड़ा है।
    ● 48-52 फीसदी छात्र-छात्राएं इस दौरान तनाव के साथ चिड़चिड़े हो गए।
    ● 90 फीसदी छात्रों ने फिजिकल स्कूल को याद किया।
    ● 90 फीसदी बच्चों ने कहा कि शिक्षकों को पढ़ाई की सामग्री शेयर की।
    ● 80 से 86 फीसदी छात्र शिक्षकों के संपर्क में रहे।
    ● 60 फीसदी छात्रों नेरेग्यूलर ऑनलाइन क्लास में शामिल हुए।
    ● 72 फीसदी छात्रों ने इस दौरान माइंडफुलनेस प्रेटिस में शामिल हुए।

    सर्वे में यह रहे शामिल
    विद्यार्थी 9087
    अभिभावक 1753
    शिक्षक 1772
    जोन के स्कूल 28

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