मुंबई । देश में पहले से महंगाई और कोरोना महामारी की मार झेल रही जनता को अब प्याज की कीमतों ने रुलाना शुरू कर दिया है। देश में खुदरा बाजार में प्याज की कीमतें 40 से 50 रुपये किलो तक पहुंच गई हैं। जानकारों का कहना है कि प्याज की कीमतें और बढ़ सकती हैं। मतलब यह कि आने वाले कुछ दिनों तक आपको प्याज की कीमतें और रुला सकती हैं। ऐसा माना जा रहा है कि अगर प्याज के भाव इसी तेजी से बढ़ते रहे तो दिवाली पर प्याज और महंगा हो सकता है।
देश की सबसे बड़ी प्याज की मंडी महाराष्ट्र के लासलगांव में अच्छी प्याज का भाव 6 हजार 802 रुपये प्रति क्विंटल तक जा पहुंचा। वैसे तो हर साल इन दिनों में प्याज के दाम आसामन छूने लगते हैं, लेकिन इस बार महाराष्ट्र के कई इलाकों में भारी बारिश हो रही है। ऐसे में खेतों में प्याज की फसल बर्बाद हो गई है। इसका सीधा असर प्याज की कीमतों पर देखा जा रहा है।
14 अक्टूबर को प्याज व्यापारियों के यहां इनकम टैक्स विभाग ने कार्रवाई की थी। बताया जा रहा है कि यही वजह है कि मंडी में व्यापारी नहीं आ रहे थे। ऐसे में मंडी में कारोबार बंद हो गया था। इस बीच सोमवार को जैसे ही मंडी खुली, प्याज के दाम में 2000 रुपये प्रति क्विंटल का इजाफा देखा गया।
कहा जा रहा है कि कर्नाटक में हुई बेमौसम बारिश का भी प्याज की कीमतों पर असर पड़ा है। जानकारों का कहना है कि प्याज की आपूर्ति में कमी देखी जा रही है, जिसका असर कीमतों पर देखने को मिल रहा है। सोमवार को कमाल किस्म की प्याज के भाव 6802 रुपये प्रति क्विंटल, सरासरी किस्म के भाव 6200 रुपए और खराब किस्म की प्याज के भाव 1500 रुपये प्रति क्विंटल दर्ज किए गए।
देश में प्याज की खेती के तीन सीजन में होती है। पहला खरीफ, दूसरा खरीफ के बाद और तीसरा रबी सीजन में। खरीफ सीजन में प्याज की बुआई किसान जुलाई-अगस्त महीने में करते हैं। खरीफ सीजन में बोई गई प्याज की फसल अक्टूबर-दिसंबर के महीने में बाजार में आती है। प्याजा की बुआई दूसरे सीजन में अक्टूबर-नवंबर में होती है और यह जनवरी-मार्च में बाजार में पहुंचती है। प्याज की तीसरी फसल रबी फसल है। रबी सीजन में प्याज की बुआई दिसंबर-जनवरी के महीने में की जाती है। फसल की कटाई मार्च से लेकर मई तक होती है। ऐसे में आने वाला कुछ हफ्तों में फिलहाल प्याज की कीमतों में कोई रहात मिलती दिखाई नहीं दे रही है।
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