इंदौर (Indore)। क्षेत्र क्रमांक 3 की वैतरणी इतनी आसान नहीं है… कांग्रेस प्रत्याशी पिंटू जोशी के लिए यह इलाका जहां विरासती रहा है, वहीं गोलू शुक्ला के लिए यहां की गलियों और चौबारे नए हैं। हालांकि उन्हें आकाश विजयवर्गीय का साथ और काम का लाभ मिल रहा है। आकाश ने यह सीट जोशी परिवार से ही छीनी थी और मतदाताओं के लिए आकाश विजयवर्गीय का कार्यकाल संतुष्टिपूर्ण रहा, लेकिन भाजपा ने यहां टिकट बदलकर मतदाताओं को सोचने पर मजबूर कर दिया है।
कांग्रेस प्रत्याशी पिंटू जोशी के लिए यह इलाका वैसे तो परिचित है ही, लेकिन उनके साथ उनके भाई अश्विन जोशी का चश्मा लग जाने से इलाके पर दृष्टि गहरा जाती है। पिंटू जोशी के पिता महेश जोशी का इस क्षेत्र से गहरा नाता रहा है और पिछले दिनों ही उनके निधन से इस क्षेत्र में उपजी सहानुभूति की लहर का फायदा भी पिंटू को मिल सकता है। महेश भाई की छवि इस इलाके में समर्पित नेता की रही है और वे अपने वक्त में इस क्षेत्र में हर परिवार के होकर मुखिया के रूप में जाने जाते थे। उनके रहते हुए इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व उनके भतीजे अश्विन जोशी करते रहे, लेकिन पिछले चुनाव में अश्विन से यह सीट भाजपा के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय के पुत्र आकाश ने छीनी थी।
विधायक रहते आकाश ने इस इलाके में ढेरों काम किए, जिनमें सरकारी स्कूलों का जीर्णोद्धार, सडक़ों का निर्माण, पेयजल की आपूर्ति, सुपर स्पेशलिटी हास्पिटल का निर्माण बेहतर उल्लेखनीय रहे। कैलाश विजयवर्गीय को टिकट दिए जाने के कारण आकाश तो टिकट से वंचित रह गए, लेकिन उनकी जगह टिकट हासिल करने वाले गोलू शुक्ला के साथ वे खड़े हैं। हालांकि अपने पिता के चुनावी क्षेत्र में व्यस्तता के कारण वे उतना वक्त नहीं निकाल पा रहे हैं, जितनी जरूरत है। क्षेत्र के लोगों के लिए भाजपा को लेकर जो विश्वास का संकट है, उसे जहां गोलू शुक्ला को पूरा करना होगा, वहीं पिंटू जोशी के लिए यह चुनाव भाई व पिता के विश्वास की बदौलत स्वयं को स्थापित करने की कोशिशों का है। इस क्षेत्र में मतदाता फिलहाल असमंजस में हैं और दोनों प्रत्याशियों के प्रयासों पर ही परिणाम निर्भर करेगा।
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