ड्रापआउट बच्चों का हो दोबारा दाखिला: मनोहर लाल
चंडीगढ़। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल (Haryana Chief Minister Manohar Lal) ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि स्कूल छोड़ने वाले बच्चों का शत-प्रतिशत दाखिला (100% enrollment of school dropouts) सुनिश्चित करना शिक्षा विभाग का लक्ष्य होना चाहिए। ज्ञान, कौशल और मूल्यों के साथ विद्यार्थियों को उनकी रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए सशक्त बनाना राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है, इसलिए यह सुनिश्चित करने के लिए समर्पित प्रयास किए जाने चाहिए कि हर स्कूल छोड़ऩे वाले बच्चे को शिक्षा हासिल हो सके। उन्होंने कहा कि स्कूल छोड़ने वालों का रियल टाइम डाटा तैयार किया जाए ताकि ऐसे हर बच्चे का स्कूलों में दाखिला दिलवाया जा सके।
मुख्यमंत्री हरियाणा में एनईपी के कार्यान्वयन के संबंध में संबंधित विभागों के साथ समीक्षा बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हरियाणा कोरोना संक्रमण के मामलों कमी आई है। ऐसे में शिक्षा विभाग के अधिकारी स्कूलों व कॉलेजों को जल्द से जल्द दोबारा खोलने की योजना बनाएं। वर्तमान में हरियाणा में स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय कोरोना की दूसरी लहर के कारण बंद हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना प्रोटोकॉल का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करते हुए शिक्षण संस्थानों में पर्याप्त व्यवस्था की जानी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रत्येक जिले में विदेशी भाषा सिखाने वाले एक स्कूल को खोलने की संभावनाएं तलाशी जानीं चाहिए और समय के अनुसार व मांग के अनुरूप इन स्कूलों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए। इन स्कूलों में आवासीय सुविधा की भी व्यवस्था होनी चाहिए। इन स्कूलों के लिए क्लस्टर प्लान बनाया जाए।
बैठक में मुख्यमंत्री को अवगत कराया गया कि उनके द्वारा घोषित 4000 प्लेवे स्मार्ट स्कूलों में से लगभग 1000 स्कूल बन कर तैयार हैं, जैसे ही शैक्षणिक संस्थान दोबारा खुलेंगे वैसे ही इन प्लेवे स्कूलों में दाखिला प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। बैठक में यह भी बताया गया कि शेष 3000 स्कूल खोलने का लक्ष्य भी इसी वर्ष तक प्राप्त कर लिया जायेगा।
उन्होंने बताया कि राज्य में बहु-विषयक शिक्षा एवं अनुसंधान विश्वविद्यालय स्थापित करने की योजना पर कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि संबंधित विभागों ने राज्य में वर्ष 2025 तक एनईपी के कार्यान्वयन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अल्पकालिक, मध्यावधि और दीर्घकालिक रणनीति बनाई है, जबकि देशभर में इस नीति के कार्यान्वयन का लक्ष्य वर्ष 2030 तक है। बैठक में शिक्षा मंत्री कंवर पाल समेत विभाग के अधिकारी मौजूद थे। (एजेंसी, हि.स.)
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