मारपीट पर आमादा पतियों को दी समझाइश, तीन परिवार टूटने से बचाए
इंदौर। महिला एवं बाल विकास विभाग (Women and Child Development Department) के उपक्रम वन स्टॉप सेंटर (One Stop Center) की मदद से तीन महिलाओं (three women) के परिवार टूटने से बच गए। सेंटर की सकारात्मक काउंसलिंग (counseling) के कारण मतभेदों की दीवार टूटी और पति-पत्नी के बीच आई दरार भी दूर हो गई। एक प्रकरण में आयशा (Ayesha) (परिवर्तित नाम) अपनी शिकायत लेकर 2 अगस्त को वन स्टॉप सेंटर पहुंची थी। वह पति सलीम (परिवर्तित नाम) पर घरेलू हिंसा (domestic violence) का प्रकरण दर्ज कराना चाह रही थी। इनके विवाह (marriage) को तकरीबन 3 वर्ष हुए हैं और डेढ़ साल का बेटा भी है।
आयशा (Ayesha) का कहना था कि पति अकसर मारपीट (assault) करता है। बच्चे के लिए दूध और दवाई का खर्चा ठीक से नहीं उठाता। सास और ननद का हस्तक्षेप रहता है, जिसके चलते पति-पत्नी में अकसर विवाद होता है। परामर्शदात्री द्वारा पति-पत्नी को परामर्श के लिए बुलाया गया। दोनों की शिकायतों और समस्याओं को सुनकर समाधान सुझाया। पति को किसी भी परिस्थिति में पत्नी पर हाथ न उठाने की सख्त हिदायत दी। साथ ही पत्नी को भी शाब्दिक प्रताडऩा न देने व गुस्सा न करने की समझाइश दी गई। लॉकडाउन (lockdown) के कारण उपजी आर्थिक समस्या से मिलकर निपटने की सलाह दी गई।
एक अन्य प्रकरण में जुबैदा (Zubaida) (परिवर्तित नाम) अपनी शिकायत लेकर 27 जुलाई को वन स्टॉप सेंटर आई थी। वह पति बशीर (परिवर्तित नाम) पर घरेलू हिंसा का प्रकरण दर्ज कराना चाह रही थी, साथ ही विधिक सहायता चाहती थी। इनके विवाह को मात्र 8 माह हुए हैं। जुबैदा का कहना था कि पति मारपीट करता है, मुंहबोली बहन के कहने पर चलता है। मेरी मां से ठीक तरह से बात नहीं करने देता। जुबैदा (Zubaida) वर्तमान में मां के पास रह रही थी। 2 अगस्त को परामर्शदात्री ने पति-पत्नी को परामर्श के लिए बुलाया और उनकी समस्याओं को सुनकर समाधान सुझाया। पति की शिकायत थी कि पत्नी बदजुबानी करती है, जिससे वातावरण बिगड़ता है। जुबैदा को भी अपनी तरफ से सकारात्मक प्रयास करने की समझाइश दी गई। दोनों के मध्य लिखित समझौता होने के पश्चात दोनों सौहार्दपूर्वक साथ में रहने के लिए सहमत हुए। बशीर ने किसी भी तरह का दुव्र्यवहार न करने का वचन दिया।
एक अन्य प्रकरण में वंदना मिश्रा (Vandana Mishra) (परिवर्तित नाम) पति व सास-ससुर के खिलाफ शिकायत लेकर 26 नवंबर को वन स्टॉप सेंटर आई थी। वह पति उमेश मिश्रा (परिवर्तित नाम) एवं सास-ससुर के खिलाफ मारपीट, मानसिक प्रताडऩा, शक करने और अपशब्द कहने की शिकायतें लेकर आई थी। वह पति और उसके परिवार पर घरेलू हिंसा का प्रकरण दर्ज कराना चाहती थी। वंदना अपनी जुड़वां बेटियों के साथ माता-पिता के यहां विगत एक वर्ष से रह रही थी। दिसंबर में दो बार पति-पत्नी की काउंसलिंग की गई। 3 दिसंबर को पति-पत्नी को पुन: वन स्टॉप सेंटर बुलाकर तात्कालिक परामर्शदात्री द्वारा परामर्श व समझाइश दी गई। तदोपरांत पति उमेश मिश्रा से निर्णय पूछा गया। तब उसने ससम्मान पत्नी वंदना को अपने साथ ले जाने पर सहमति दिखाई।
आयशा (Ayesha) पढ़ी-लिखी होने से नौकरी करना चाहती थी, जिसके लिए पति सलीम भी सहमत हुआ। इन दोनों के मध्य लिखित में समझौता होने के पश्चात दोनों सौहार्दपूर्वक साथ रहने के लिए सहमत हुए और खुशी-खुशी अपने घर यह कहते हुए चलेे गए कि अब दोनों के बीच में किसी बात को लेकर विवाद नहीं होगा। साथ ही दोनों एक-दूसरे की भावनाओं की कदर भी करेंगेे।
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