नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय(Union Ministry of Health) ने बताया कि बैंगलूरू, पुणे, दिल्ली, अहमदाबाद, एर्णाकुलम, नागपुर, मुंबई, जयपुर, ठाणे और कोझिकोड जिले में एक चौथाई सक्रिय मरीज (One fourth active patient)उपचाराधीन हैं। देश के 10 फीसदी सक्रिय मरीज अकेले बैंगलूरू (Bangalore) शहरी जिले में उपचाराधीन हैं। इनके अलावा 10 राज्यों में संक्रमण दर 25 फीसदी से भी ज्यादा है।
गोवा में संक्रमण दर (Infection Rate) सबसे ज्यादा 48 फीसदी दर्ज की गई है। हरियाणा में 37 फीसदी संक्रमण दर है। इसी प्रकार पश्चिम बंगाल में 33, दिल्ली में 32 और पुडुचेरी में 30 फीसदी है। मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में यह 29 फीसदी, कर्नाटक में 28 व चंडीगढ़ में 26 फीसदी है।
देश के चार राज्य लद्दाख, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम और दादर नागर हवेली में किसी भी मरीज की मौत नहीं हुई है। हालांकि ये सभी जनसंख्या की दृष्टि से छोटे राज्यों में आते हैं।
दूसरी लहर से टीकाकरण भी प्रभावित
ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र की प्रोफेसर अमर्त्य लाहिड़ी का कहना है कि एक दिन में लगभग 40 लाख लोगों को टीका दिया जा रहा था, लेकिन अब यह संख्या 25 लाख से भी कम है। इससे पता चलता है कि दूसरी लहर ने कोरोना टीकाकरण को भी काफी प्रभावित किया है। इस महामारी की वजह से भारत की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा रही है। मरीजों को अस्पतालों में बेड नहीं मिल रहे हैं, जबकि ऑक्सीजन का अकाल भी पड़ा हुआ है। हालात इस कदर हो चुके हैं कि मुर्दाघर और श्मशान घाट पर मृतकों की संख्या को संभाल नहीं सकते है। दिल्ली, लखनऊ और मुंबई सहित कई शहरों में लकड़ियां कम पड़ने की वजह से विद्युत शवदाह गृहों का इस्तेमाल अधिक किया जा रहा है। हालांकि उत्तरी और पश्चिमी राज्यों में यह काफी गंभीर स्थिति है। जबकि देश के पांच दक्षिणी राज्यों में दैनिक वृद्धि में हिस्सेदारी मई के पहले सात दिनों में संक्रमण 28 से बढ़कर 33 फीसदी तक पहुंच गई है।
ऑक्सीजन बेड की बढ़ रही किल्लत
सरकारी आंकड़ों की ही मानें तो बृहस्पतिवार रात तक चेन्नई में 100 ऑक्सीजन बेड में केवल एक और 200 आईसीयू बेड में केवल दो ही खाली थे, जबकि दिल्ली में शुक्रवार दोपहर तक एक भी आईसीयू बेड खाली नहीं था। ठीक इसी तरह एनसीआर में भी ऑक्सीजन बेड खासतौर पर आईसीयू की किल्लत है। इसका खामियाजा मरीजों को उठाना पड़ रहा है। अस्पतालों में चक्कर लगाने की वजह से उनकी हालत और खराब हो रही है जिससे डॉक्टरों को भी जान बचाने का मौका नहीं मिल पा रहा है।
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