- हर स्थानीय निकाय एक तालाब-बावड़ी को देगा पुनर्जीवन, 588 करोड़ रुपए होंगे खर्च
- हरियाली बढ़ेगी, पानी का उपयोग पार्क व सिंचाई में होगा
उज्जैन। जिले की 8 नगरीय निकाय सहित प्रदेश के 430 स्थानीय निकाय अपने जलाशयों का पुनर्जीवन करेंगे जिसमें सीवरेज और गंदगी को रोकना शामिल है। इस पहल के तहत 588 करोड़ रुपये खर्च होंगे जिसमें 471 करोड़ जलाशयों के संरक्षण और 117 करोड़ हरियाली विकास के लिए खर्च किए जाएँगे।
उज्जैन जिले की कुल 8 नगरीय निकाय सहित प्रदेश की 430 स्थानीय निकायों में से प्रत्येक अपने यहाँ के एक तालाब और जहाँ तालाब नहीं हैं वहाँ बावड़ी या छोटी नदी को पुनर्जीवन देगा। इसके लिए जलाशय में मिलने वाले सीवेज और अन्य गंदगी को रोका जाएगा। तालाब का गहरीकरण किया जाएगा। इसके साथ ही आसपास ग्रीन स्पेस यानी हरियाली विकसित की जाएगी। दोनों कामों में मिलाकर 588 करोड़ रुपये खर्च किए जाएँगे। सफाई के बाद इन जलाशयों का पानी शहर में पार्कों की सिंचाई के लिए उपयोग किया जाएगा। इसके लिए स्थानीय स्तर पर निकाय निविदा कर एजेंसी का चयन करेंगे। लगभग एक वर्ष में यह काम पूरा होगा। 430 में से 350 स्थानीय निकायों ने जलाशयों के संरक्षण के लिए एजेंसी चयन की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। मध्यप्रदेश सरकार ने इसी वर्ष गंगा दशहरा से प्रदेशभर में जल गंगा संवर्धन अभियान शुरू किया था। इसी कड़ी में छोटे-बड़े सभी स्थानीय निकाय में एक जलाशय (वॉटर बॉडी) का संरक्षण किया जा रहा है। जलाशय के संरक्षण में 471 करोड़ और हरियाली विकसित करने में 117 करोड़ रुपये खर्च किए जाएँगे। यह राशि अमृत-2 परियोजना के अंतर्गत खर्च की जा रही है। हरियाली क्षेत्र (ग्रीन स्पेस) 390 जलाशयों के आसपास बनाया जाना है। ग्रीन स्पेस को पार्क की तरह विकसित नहीं किया जाएगा, बल्कि यहाँ बड़े पेड़ रहेंगे। इससे जलाशय का संरक्षण भी होगा। प्रदेश में पहली बार जलाशयों के पास ग्रीन स्पेस बनाया जा रहा है।