इंदौर। एक माह की मासूम जिसे अपनी मां का दूध तक नसीब नहीं हुआ, न मां का चेहरा देख सकी, न ममता और लाड़-दुलार महसूस कर सकी। अब वह अपनी मां की मौत का इंसाफ मांगने के लिए कलेक्टर कार्यालय के चक्कर काट रही है। गौतमपुरा निवासी उर्मिला कछावा की मौत बच्ची को जन्म देने के दौरान 4 अगस्त को सरकारी अस्पताल में हो गई थी, जिसके बाद से परिजन एक माह की नन्ही मासूम को लेकर कलेक्टर कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं।
डाक्टर सुनील असाड़ी एवं नर्स की शिकायत करते हुए परिजनों ने अपर कलेक्टर डा. अभय बेड़ेकर को पूर्व में जनसुनवाई में भी शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन उसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। उर्मिला के पति पप्पू कछावा ने बताया कि कलेक्टर ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को जांच की जिम्मेदारी सौंप दी, जिससे अब वह पल्ला झाड़ रहे हैं। तारीख पर तारीख देकर परिजनों को भटकाया जा रहा है।
समीक्षा बैठक में बुलाया, पर कलेक्टर से नहीं मिलने दिया-परिजनों ने स्वास्थ्य विभाग पर आरोप लगाते हुए कहा कि 12 सितम्बर को कलेक्टर कार्यालय में प्रसूताओं की मौत को लेकर समीक्षा बैठक आयोजित की गई। इसमें अपर कलेक्टर बेड़ेकर के कार्यालय से पत्र भेजकर बुलवाया गया, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने न तो कलेक्टर के समक्ष मामला उजागर किया और न ही परिवारजनों को मिलने दिया। सीएम हेल्पलाइन में की गई शिकायत को भी बिना रजामंदी के बंद कर दिया गया। परिजन ने कल कलेक्टर से शिकायत की तो स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी सकते में आए और जांच शुरू की।
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