भोपाल। मप्र हाईकोर्ट ने अनुकंपा नियुक्ति के मामले में बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने आदेश में साफ किया कि परिवार का एक सदस्य शासकीय सेवक है, अत: दूसरे किसी सदस्य को अनुकंपा नियुक्ति नहीं मिल सकती। मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व न्यायमूर्ति पुरुषेंद्र कुमार कौरव की युगलपीठ ने इस सिलसिले में हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के पूर्व निर्णयों पर भरोसा जताया। शहडोल जिला अंतर्गत गोरतरा निवासी अश्वनी कुमार पांडे ने अनुकंपा नियुक्ति को लेकर अपील की थी। अपीलकर्ता के पिता पुलिसकर्मी थे। ड्यूटी पर रहते उनके निधन के उपरांत अपीलकर्ता ने अनुकम्पा नियुक्ति के लिए विभाग को आवेदन दिया, लेकिन इसे निरस्त कर दिया गया। हाइ कोर्ट में इसके खिलाफ याचिका दायर की गई।
तर्क दिया गया कि अपीलकर्ता अपनी मां के साथ रहता है और उनके भरण पोषण, देखभाल के लिए उसे अनुकंपा नियुक्ति दी जानी चाहिए। राज्य सरकार की ओर से पक्ष रखा कि अपीलकर्ता का भाई छत्तीसगढ़ सरकार के अधीन कर्मी है। इसलिए अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी जा सकती है। सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि परिवार का एक सदस्य सरकार, सरकारी निगम, बोर्ड, आयोग या परिषद में सेवारत है तो दूसरे किसी सदस्य को पात्र होने के बावजूद अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी जा सकती। बाहर रहने के बावजूद सरकारी नौकरी करने वाला सदस्य परिवार के अंतर्गत ही माना जाएगा।
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