इंदौर। सीनियर एडवोकेट (senior advocate) के लिए वकीलों के चयन पर उठ रहे सवाल के बीच सुप्रीम कोर्ट ने 10 से 20 साल की प्रैक्टिस वाले वकीलों (practicing lawyers) को हर साल के हिसाब से एक अंक देने को कहा है। सीनियर एडवोकेट इंदिरा जयसिंह (Senior Advocate Indira Jaising) द्वारा दायर एक आवेदन पर सुनवाई के दौरान जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस एस. रवींद्र भट और जस्टिस पीएस नरसिम्हा (Ravindra Bhat and Justice PS Narasimha) की पीठ ने कल स्पष्ट किया कि सीनियर एडवोकेट डेजिग्नेशन के लिए आवेदनों का आकलन करते समय हाईकोर्ट को 10 से 20 साल की प्रैक्टिस में रहने वाले वकील के लिए फ्लेट 10 अंक आवंटित करने के बजाय प्रत्येक साल की प्रैक्टिस के लिए एक अंक आवंटित करना चाहिए।
आवेदन में कहा गया था कि कई हाईकोर्ट 10-20 सालों की प्रैक्टिस के लिए 10 अंक देने की प्रथा का पालन करती हैं और 10-19 सालों की प्रैक्टिस का अनुभव रखने वाले सभी वकीलों को समान अंक मिल रहे हैं। बताना जरूरी होगा कि जयसिंह ने इसके पहले सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दायर कर सीनियर डेजिग्नेशन देने के लिए वस्तुनिष्ठ मानदंडों का पालन करने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की थी, जिस पर कोर्ट ने 2017 में निर्णय देते हुए कई तरह के दिशा-निर्देश तैयार कर सभी हाईकोर्ट को इन्हें अपनाने को कहा था। पिछले साल याची ने कई हाईकोर्ट द्वारा बनाए गए नियमों में विसंगतियां बताते हुए आगे के दिशा-निर्देश जारी करने की गुहार लगाई थी और मांग की कि कटऑफ अंक पहले से घोषित किए जाएं।
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