नई दिल्ली। देश के शहरों में वायु प्रदूषण का बुरा हाल है। एक अंतरराष्ट्रीय अध्ययन में पाया गया है कि वर्ष 2005 से 2018 के बीच भारत के आठ शहरों में वायु प्रदूषण के कारण एक लाख लोगों की असमय मौत हुई है। नासा व यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के उपग्रहों से मिले आंकड़ों के विश्लेषण के आधार पर यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। ये आठ शहर हैं मुंबई, बंगलुरु, कोलकाता, हैदराबाद, चेन्नई, सूरत, पुणे और अहमदाबाद।
ब्रिटेन के बर्मिघम विश्वविद्यालय और यूसीएल के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में किए गए इस अध्ययन से पता चला है कि तेजी से बढ़ते प्रदूषण के कारण 14 सालों में लगभग 1,80,000 लोगों की असमय मौतें हुई हैं। वैज्ञानिकों की टीम ने 2005 से 2018 के दौरान नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) के उपग्रहों से प्राप्त जानकारी का विश्लेषण कर यह दावा किया है।
इन शहरों में किया गया अध्ययन
यह अध्ययन रिपोर्ट साइंस एडवांसेस में पिछले सप्ताह प्रकाशित की गई। अध्ययन से वायु गुणवत्ता में तेजी से गिरावट और स्वास्थ्य के लिए खतरनाक वायु प्रदूषकों के शहरी जोखिम में वृद्धि का पता चलता है। शोधकर्ताओं ने पाया कि प्रदूषकों में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) 14 फीसदी तक और सूक्ष्म कणों (PM2.5) में 8 फीसदी तक की महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है। अमोनिया के स्तर में 12 प्रतिशत तक और वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों में 11 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है। शोधकर्ताओं की टीम में अमेरिका की हॉवर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक भी शामिल थे।
पराली समेत इन कारणों से बढ़ा वायु प्रदूषण
शोधकर्ताओं ने हवा की गुणवत्ता में तेजी से गिरावट के लिए उभरते उद्योगों और आवासीय स्रोतों- जैसे सड़क यातायात, कचरा जलाने और लकड़ी का कोयला और ईंधन लकड़ी के व्यापक उपयोग को जिम्मेदार ठहराया है। इस अध्ययन रिपोर्ट के मुख्य लेखक कर्ण वोहरा हैं। उन्होंने बर्मिघम विश्वविद्यालय में पीएचडी छात्र के रूप में अध्ययन पूरा किया है। उन्होंने ने कहा कि भूमि निकासी और कृषि अपशिष्ट या पराली को खुले में जलाने का वायु प्रदूषण में अत्यधिक योगदान रहा। उन्होंने कहा कि हम इन शहरों में वायु प्रदूषण के एक नए युग में प्रवेश कर रहे हैं।
आने वाले सालों में दिखेगा भयावह असर
रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण एशिया में वायु प्रदूषण के कारण असमय मौतें ज्यादा हुई हैं। बांग्लादेश की राजधानी ढाका में ही इस दौरान 24 हजार लोग मारे गए हैं, वहीं भारत के उक्त आठ शहरों में 1 लाख अतिरिक्त मौतें हुईं। रिपोर्ट में यह भी चेताया गया है कि वायु प्रदूषण का भयावह असर आने वाले दशकों में नजर आएगा। अध्ययन रिपोर्ट के सह लेखक एलॉइस मारीस ने कहा कि हम वायु प्रदूषण रोकने की बजाए, उसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर शिफ्ट कर रहे हैं। औद्योगिकीकरण व आर्थिक विकास की दौड़ में अतीत की गलतियों का सबक नहीं लिया जा रहा है। उम्मीद है इस रिपोर्ट से कुछ सबक लेकर कदम उठाए जाएंगे।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved