इंदौर। सरकारी तौर पर गरबे के आयोजनों की अनुमति नहीं होने से एक ओर बिजली कंपनी को त्योहारी अस्थाई कनेक्शन इक्का-दुक्का ही मिल पा रहे हैं, वहीं डीजल जनरेटर की सेवाओं का कारोबार करने वाले भी परेशान हैं। इस बार नवरात्रि डांडिया की झंकार नहीं सुनाई दे रही है, जिससे माहौल भी सूना-सूना नजर आ रहा है।
शहर में 10 स्थानों पर बहुत बड़े पैमाने पर गरबों के आयोजन होते थे, जिनमें करीब 500 लोग गरबे खेलने एवं 2 से 10 हजार तक लोग रोज देखने जाते थे। यही नहीं, इन गरबों का लोकल टीवी पर भी प्रसारण होता था। इस बार गरबे की अनुमति नहीं होने से आयोजक भी निराश हैं। मात्र प्रतिमा स्थल पर रोशनी हो रही है। न तो पांडाल सजे हैं, न ही गरबों में डांडियों की खनक देखने को मिल रही है। बिजली कंपनी स्थाई एवं अस्थाई कनेक्शनों के माध्यम से गरबा स्थल पर करीब पचास लाख की बिजली वितरित करती है। यह कार्य इस बार नहीं हो रहा है। बिजली कंपनी करीब दो सौ स्थानों पर अस्थाई कनेक्शन भी हर वर्ष देती रही है। इस बार अस्थाई कनेक्शन मात्र 20 की संख्या में ही हुए हैं। डीजल जनरेटर सेट पर काम करने वाले रीतेश चौधरी ने बताया कि रोज 3 से 4 हजार की कमाई होती थी, इस बार गरबा स्थलों पर डीजे सेट का धंधा ठप है। अनुमान है कि तीन सौ से चार सौ डीजल जनरेटर सेट का धंधा गरबे के आयोजनों पर सरकारी पाबंदी के कारण मारा गया है।
ऐसे समझें गणित
शहर के सबसे बड़े गरबे में सौ हैलोजन, दो किमी लंबी सीरिंज, 50 स्थानों पर डीजे साउंड लगते थे। करीब पच्चीस किलोवाट बिजली की जरूरत लगती थी। इस बार यह मांग शून्यप्राय है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved