मुंबई। ‘एक देश एक चुनाव’ के मुद्दे को लेकर केंद्र सरकर और विपक्षी दलों में आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति तेज है। इसी बीच शिवसेना यूबीटी ने एक बार फिर इस प्रस्ताव पर केंद्र सरकार का घेराव किया है। यूबीटी ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार एक साथ चुनाव कराने की आड़ में मतदाता सूची से अन्य धर्मों क लोगों को बाहर करने के प्रयास में है, ताकि अंत में कुछ खास वोटर्स को ही मतदान का अधिकार मिल सके। बता दें कि शिवसेना के मुखपत्र सामना में प्रकाशित संपादकीय में ये भी कहा गया कि भाजपा की योजना है कि देश में केवल एक ही पार्टी सत्ता में हो और एक पार्टी, एक चुनाव उनका अंतिम लक्ष्य है।
शिवसेना यूबीटी के संपादकीय में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का भी जिक्र किया गया। इसमें कहा गया कि जहां ट्रंप अमेरिकी चुनावों में अश्वेत, लैटिनो और अप्रवासियों को मतदान से रोकने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं भारत में भाजपा द्वारा अन्य धर्मों के लोगों को मतदाता सूची से बाहर करने का प्रयास किया जा रहा है। इसके साथ ही इस संपादकीय में ट्रंप द्वारा अमेरिकी चुनाव सुधारों के लिए किए गए हस्ताक्षरित आदेश का भी हवाला दिया गया, जिसमें नागरिकता के प्रमाण को मतदान पंजीकरण के लिए अनिवार्य किया गया है।
शिवसेना ने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, और अमेरिका सबसे मजबूत लोकतंत्र है, लेकिन दोनों देशों में लोकतंत्र की जड़ें कमजोर हैं। संपादकीय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ट्रंप को लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के प्रति विश्वासहीन बताया गया। साथ ही मुखपत्र में ट्रंप को श्वेत मोदी करार दिया गया। इसके अलावा, संपादकीय में यह भी कहा गया कि मोदी और भाजपा का उद्देश्य केवल एक ही पार्टी को सत्ता में बनाए रखना है, और “एक पार्टी, एक चुनाव” का प्रस्ताव इसके तहत ही पेश किया गया है।
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