उज्जैन। संभाग के सबसे बड़े सरकारी जिला अस्पताल और मातृ शिशु चरक अस्पताल में करीब 1150 बेड हैं। ठंड के मौसम में इतने बेड पर अगर एक-एक कंबल भी मरीज को दिया जाए तो 1150 कंबलों की आवश्यकता होगी परंतु स्टॉक में उक्त दोनों अस्पतालों में 620 कंबल ही हैं। बाकी के बेड पर इनका इंतजाम मरीजों को खुद करना पड़ रहा है।
जिला अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाओं की क्वालिटी जाँचने के लिए हाल ही में देश के विभिन्न राज्यों से आई क्वालिटी कंट्रोल इंश्योरेंस की टीमें तीन दिन तक जिला अस्पताल और चरक अस्पताल में जाँच कर लौटी हैं। टीम ने अगर रिर्पोट सही पेश की तो अस्पताल प्रबंधन दावा कर रहा है कि उन्हें केन्द्र से 50 लाख रुपये का अनुदान मिल जाएगा और इससे जिला अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाओं के सुधारने में मदद मिलेगी। हालांकि इसमें अभी समय लगेगा। दूसरी ओर चिंता वाली बात यह है कि जिला अस्पताल में लगभग 10 अलग-अलग वार्ड हैं। इन वार्डों में मरीजों के उपचार के लिए करीब 700 बेड मौजूद हैं।
इसी तरह सात मंजिला चरक अस्पताल में भी 450 बेड गर्भवती महिलाओं एवं नवजात शिशुओं के लिए उपलब्ध हैं। इन दोनों अस्पतालों में कुल 1150 के लगभग बेड मौजूद हैं। स्वास्थ्य सुविधाओं के लिहाज से सरकारी अस्पताल होने के नाते दोनों अस्पताल के सभी 1150 बेड पर चादरें एवं कंबल की व्यवस्था करना अस्पताल प्रबंधन का दायित्व है। परंतु जमीनी हकीकत यह है कि जिला अस्पताल में साल 2019 के बाद से नई चादर और कंबल बजट के अभाव में नहीं खरीदे गए हैं। ऐसे में पुराने कंबल और चादर समय के साथ खराब होते गए और किसी काम के नहीं रहे। यहीं कारण है कि कोरोना काल के बाद जब चरक एवं जिला अस्पताल में मरीजों की संख्या उपचार के लिए बढ़ी तो तभी से यहां के बेड पर चादर से लेकर कंबल तक की कमी बनी रही। अस्पताल सूत्रों का कहना है कि पिछले लगभग दो साल से इनकी नई खरीदी नहीं होने तथा पुराना स्टॉक धीरे-धीरे खराब होने के कारण अब हालत यह हो गई है कि चरक और जिला अस्पताल के लगभग 50 प्रतिशत बेड पर भर्ती मरीजों के लिए न तो चादरें बिछाने के लिए बची है और न ही कड़ाके की सर्दी में कंबल शेष रहे हैं।
चरक अस्पताल में 230 तो जिला चिकित्सालय में 390 कंबल
मिली जानकारी के मुताबिक जिला अस्पताल में मरीजों के बेड पर रोजाना चादर बदलने के लिए 1371 चादरों की आवश्यकता होती है जबकि इतने ही कंबल होना चाहिए। स्टाक में फिलहाल जिला अस्पताल में 390 कंबल ही मौजूद है। शेष पलंग पर भर्ती मरीजों को ही इसकी व्यवस्था घर से या किराये से कंबल लेकर करना पड़ रही है। इसी तरह चरक अस्पताल में मरीजों के उपचार के लिए 230 बेड विभिन्न वार्डों में लगे हैं। हालांकि यहां सभी बेड पर कंबल मौजूद हैं लेकिन पर्याप्त चादरें नहीं हैं। दूसरी और जिला अस्पताल और चरक अस्पताल में मिलाकर कुल 1601 चादरें ही मौजूद हैं और कंबलों की संख्या भी मात्र 620 है।
करोड़ों के बजट वाले अस्पताल में चद्दर नहीं
जिला अस्पताल से जुड़े अधिकारिक सूत्रों का कहना है कि जिला अस्पताल में जहां एक और पिछले दो साल में नई चादरों की खरीदी नहीं हो पाई है। वहीं दूसरी ओर कई बार बेड पर ही उपचार के दौरान मरीज की मौत हो जाती है, ऐसे में परिजन उसी चादर में लपेट कर शव को ले जाते हैं। मानवीयता के आधार पर अस्पताल का स्टॉफ उन्हें रोक भी नहीं पाता। इसके अलावा समय के साथ चादरें पुरानी होती हैं तथा फटती है और खराब भी हो जाती हैं।
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