भोपाल। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट (Madhya Pradesh High Court) में एक बार फिर ईवीएम को कठघरे में रखा गया है। इससे पूर्व भी ईवीएम (EVM) पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए हाई कोर्ट (High Court) में चुनाव याचिकाएं दायर की गई थीं। इस बार याचिका के जरिये लोकतंत्र के सबसे बड़े महोत्सव चुनाव की गरिमा को बरकरार रखने पर बल दिया गया है। याचिकाकर्ता का कहना है कि या तो ईवीएम (EVM) को विश्वसनीयता की कसौटी पर पूरी तरह खरा उतारा जाए या फिर इसके स्थान पर पुराने तरीके से चुनाव कराए जाने लगें।
ईवीएम को लेकर संदेह
मध्यप्रदेश जन विकास पार्टी के अध्यक्ष मोतीलाल अहिरवार की ओर दायर याचिका में कहा गया है कि चुनाव में ईवीएम के प्रयोग करने के पहले लोकप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 64 मतों की गणना, धारा- 94 मतदान की गोपनीयता , धारा- 62 मतदाता को एक वोट के अधिकार के उल्लंघन को रोका जाए। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 और नियम 1961 के अनुसार ईवीएम को पारदर्शी बनाया जाए या फिर चुनाव में ईवीएम का प्रयोग बंद किया जाए। याचिका में कहा गया है कि ईवीएम का डिस्प्ले बाहर से वायरलेस से कंट्रोल हो सकता है। इसलिए मतदान केंद्र पर मेमोरी चिप बताई जाए, जिसमे वोट एकत्रित होते है कि वह खाली है तथा उसमें कोई अतिरिक्त्त सर्किट नही डाला गया है चूंकि यह सब सॉफ्टवेयर का काम है इसलिए प्रत्याशी को एजेंट के रूप में अपना इंजीनियर को नियुक्त करने की अनुमति दी जाए। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता सुनील सिंह पैरवी कर रहे है।
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