मोहिनी एकादशी वैशाख माह के शुक्ल पक्ष में मनाई जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मोहिनी एकादशी के दिन ही भगवान विष्णु (Lord vishnu) ने मोहिनी का वेष धारण किया था ताकि वो असुरों से अमृत कलश लेकर देवताओं को दे सकें। यही कारण है कि यह एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित मानी जाती है। हिंदू धर्म में एकादशी (Ekadashi) का काफी धार्मिक महत्व (Religious significance) है।
मान्यता है कि इस दिन जो भक्त पवित्र मन से व्रत रखते हैं वो सांसारिक मोह-माया और बंधनों से ऊपर उठ जाते हैं और मृत्यु के बाद मोक्ष को प्राप्त करते हैं। हिंदू पंचाग के अनुसार, मोहिनी एकादशी (Mohini Ekadashi) इस बार 22 और 23 दोनों ही दिन पड़ रही है। इसी कारण लोगों में असमंजस है। 22 मई के दिन स्मार्त लोगों की मोहिनी एकादशी हैं और वहीं 23 मई को वैष्णव लोग मोहिनी एकादशी का व्रत रखेंगे और पूजा अर्चना करेंगे । आइए जानते हैं क्या है इस बार मोहिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त और किस समय व्रत का पारण करना होगा।
मोहिनी एकादशी व्रत विधि:
मोहिनी एकादशी का व्रत करने वाले जातक को सुबह उठकर नित्यकर्म निपटाने के बाद नहा धोकर विष्णु भगवान की पूजा (Worship) अर्चना करनी चाहिए। इसके बाद उन्हें धूप, दीप, फल, फूल एवं नैवेद्य अर्पित करना चाहिए। मोहिनी एकादशी के दिन पूरे दिन मन ही मन भगवान विष्णु का समरण करते रहें और किसी पर गुस्सा न करें और मन को भी सात्विक विचारों में केंद्रित करें।
मोहिनी एकादशी के दिन शाम के वक्त घर के सब सदस्य बैठकर खुद ही एकादशी की व्रत कथा पढ़ें और इसे सुनने का भी लाभ लें। मोहिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के मन्त्र ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ का जाप करें। इस दिन विष्णुसहस्रनाम का पाठ भी करना चाहिए
नोट- उपरोक्त दी गई जानकारी व सूचना सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्वयं की जिम्मेंदारी होगी ।
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