नई दिल्ली। सौरमंडल (Solar system) में ग्रहों की दुनिया भी बड़ी अजीब है। उसे जितना भी समझने की कोशिश करिए, आप उतना ही उसमें उलझते जाएंगे। वैसे तो हर ग्रह अपने आप में विशेष है, लेकिन इसमें प्लूटो ग्रह (Pluto planets) थोड़ा अलग है। प्लूटो ग्रह को ‘यम ग्रह’ भी कहा जाता है। प्लूटो ग्रह (Pluto planets) से जुड़ी अजीबोगरीब और रहस्यमय बातें जानकर आप हैरत में पड़ जाएंगे।
खगोल विज्ञानी क्लीड डब्ल्यू. टॉमबॉघ (astronomer Clyde W. Tombaugh) ने 18 फरवरी 1930 को प्लूटो को गलती से खोज लिया था। असल में वह ‘प्लैनेट एक्स’ नामक एक अज्ञात ग्रह की तलाश कर रहे थे, जो यूरेनस (अरुण ग्रह) और नेपच्यून (वरुण ग्रह) की कक्षाओं में गड़बड़ी पैदा कर रहा था।
ऑक्सफॉर्ड स्कूल ऑफ लंदन( Oxford School of London) में 11वीं कक्षा में पढ़ने वाली एक छात्रा वेनेशिया बर्ने ने इस ग्रह का नाम रखा था। इस बच्ची का कहना था कि रोम में अंधेरे के देवता को प्लूटो कहा जाता है और इस ग्रह पर भी लगभग हमेशा अंधेरा ही रहता है, ऐेसे में इसका नाम प्लूटो रखा जाए। इस बच्ची को उस समय इनाम के तौर पांच पाउंड दिए गए थे, जो आज के हिसाब से करीब 499 रुपये होते हैं। प्लूटो को सूर्य का एक चक्कर लगाने में 248 साल लग जाते हैं। यहां एक दिन पृथ्वी के मुकाबले 6.4 दिन का होता है यानी इस ग्रह का 24 घंटा लगभग 153 घंटे के बराबर होता है। प्लूटो और सूर्य के बीच बहुत अधिक दूरी होने के कारण सूर्य की रोशनी को प्लूटो ग्रह तक पहुंचने में लगभग पांच घंटे लगते हैं, जबकि सूरज की रोशनी को पृथ्वी तक पहुंचने में आठ मिनट और 20 सेकेंड लगते हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक, प्लूटो ग्रह पर पानी बर्फ के रूप में मौजूद है और इस पानी की मात्रा पृथ्वी के सभी महासागरों में आरक्षित पानी से लगभग तीन गुना अधिक है। इसके अलावा कहा जाता है कि इसकी सतह पर बड़े-बड़े गड्ढे भी हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि प्लूटो ग्रह पर जीवन का अस्तित्व संभव नहीं है, क्योंकि यहां तापमान बेहद ही कम है। इस ग्रह की सतह का तापमान अमूमन माइनस 233 से माइनस 223 डिग्री सेल्सियस बना रहता है, जो किसी भी इंसान को पल भर में जमा सकता है।