आज चेत्र नवरात्रि (Navratri 2020) का सातंवा दिन है और पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन मां दुर्गा के सातवे रूप में कालरात्रि की पूजा का विधान है । मान्यता के अनुसार, मां का यह स्वरुप बेहद क्रोध (anger) को प्रदर्शित करने वाला है. नवरात्रि के सप्तमी तिथि में मां कालरात्रि की पूजा (Worship) करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है । धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां कालरात्रि साधक के शत्रुओं का विनाश करने वाली हैं और हर परेशानी से भक्तों की रक्षा करती हैं. तंत्र साधकों के लिए मां कालरात्रि की पूजा विशेष फल देने वाली होती है. यही वजह है कि तांत्रिक आधी रात में मां कालरात्रि की विशेष पूजा करते हैं. आइए आज नवरात्रि की सप्तमी तिथि पर जानते हैं कि कैसे करें मां कालरात्रि की पूजा और किस तरह लगाएं उनको भोग ताकि शत्रु न हो पाएं आपपर हावी और जीवन में न आए कोई बाधा ।
मां कालरात्रि की इस विधि से करें पूजा :
नवरात्रि की सप्तमी तिथि (Seventh date) पर सुबह नित्यकर्म निपटाने के बाद नहा धोकर पूजाघर की अच्छे से सफाई कर लें. इसके बाद पूजा की चौकी पर काले रंग का कपड़ा बिछा लें. फिर इसपर मां कालरात्रि (Maa kalratri) की प्रतिमा स्थापित करें. पूजा शुरू करने से पहले मां कालरात्रि को लाल रंग की चूनर अर्पित करें या ओढ़ाएं. इसके बाद हाथ जोड़कर मां की वंदना करते हुए उन्हें सुहाग के श्रंगार का सामान चढ़ाएं. इसके बाद दिया जलाकर मां की पूजा अर्चना करें.
माता कालरात्रि की आरती:
कालरात्रि जय जय महाकाली
काल के मुंह से बचाने वाली
दुष्ट संहारिणी नाम तुम्हारा
महा चंडी तेरा अवतारा
पृथ्वी और आकाश पर सारा
महाकाली है तेरा पसारा
खंडा खप्पर रखने वाली
दुष्टों का लहू चखने वाली
कलकत्ता स्थान तुम्हारा
सब जगह देखूं तेरा नजारा
सभी देवता सब नर नारी
गावे स्तुति सभी तुम्हारी
रक्तदंता और अन्नपूर्णा
कृपा करे तो कोई भी दुःख ना
ना कोई चिंता रहे ना बीमारी
ना कोई गम ना संकट भारी
उस पर कभी कष्ट ना आवे
महाकाली मां जिसे बचावे
तू भी ‘भक्त’ प्रेम से कह
कालरात्रि मां तेरी जय
नोट- उपरोक्त दी गई जानकारी व सूचना सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्वयं की जिम्मेंदारी होगी ।
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