प्रयागराज। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (Akhil BHartiya Akhara Parishad) के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि (Mahant Narendra Giri) के सुसाइड नोट को लेकर बड़ा खुलासा (Big disclosure about suicide note) हुआ है। महंत नरेंद्र गिरि के मामा प्रो महेश सिंह ने कहा है कि महंत नरेंद्र गिरी पढ़े लिखे थे. वे पढ़ना-लिखना दोनों जानते थे।
प्रो महेश सिंह के मुताबिक 1978 में सरयू प्रसाद इंटर कालेज आमीपुर गिर्दकोट हंड़िया प्रयागराज से उन्होंने 10वीं पास की थी. उनके मामा प्रो महेश सिंह के मुताबिक, नरेंद्र गिरि ने हाई स्कूल की परीक्षा उनके साथ ही रहकर स्कूल से की थी. जब वे इंटर की पढ़ाई कर रहे थे तभी उनकी बैंक में नौकरी लगी और उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी. उन्हें धार्मिक ग्रंथ भी पढ़ना आता था. वे रामायण भी पढ़ते थे।
प्रो महेश सिंह ने कहा कि जो लोग कई दिन से कह रहे हैं कि उन्हें पढ़ना लिखना नहीं आता था वे सरासर गलत हैं. पिछले तीन दिनों से यह इसे सुनकर आहत हूं. उन्हें पढ़ना भी आता था और लिखना भी आता था. प्रो महेश सिंह ने कहा कि उनकी राइटिंग जरूर खराब थी. महेश सिंह ने कहा कि जो लोग उनके सुसाइड नोट पर सवाल खड़े कर रहे हैं उन्हें सच नहीं मालूम है. हालांकि उन्होंने कहा कि वे महंत नरेंद्र गिरी की हैंड राइटिंग नहीं पहचानते।
2001 में उनके संन्यासी बनने की बात पता चली
महेश सिंह ने कहा कि जब उनकी शादी की बात चल रही थी तो वे अचानक से गायब हो गए। इसके बाद 2001 कुंभ में प्रयागराज आए तो कहीं से मेरा नंबर लेकर मुझे फ़ोन किया और कहा मैं महंत नरेंद्र गिरि बोल रहा हूं. इस पर मैंने कहा कि मैं किसी नरेंद्र गिरि को नहीं जानता. फिर उन्होंने कहा कि मैं गुड्डू (बचपन का नाम) बोल रहा हूं।
इसके बाद नरेंद्र गिरि ने बताया कि उन्होंने संन्यास ले लिया है और संन्यासी आखिरी प्रक्रिया के लिए मां और नानी की भिक्षा जरूरी है, जिसके बाद मैंने घर का रास्ता बताया और वे आए थे। प्रोफेसर महेश सिंह ने बताया कि उनकी उनसे अक्सर बात होती रहती थी। अभी 14 सितंबर को ही मेरी पुस्तक का विमोचन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से करवाने को लेकर हुई थी। उन्होंने कहा कि नरेंद्र गिरी समाजसेवी भी थे. वे गरीब बच्चों को पढ़ने के लिए किताबें और फीस भी देते थे।
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