नई दिल्ली: तुर्की और पाकिस्तान की नजदीकियां जगजाहिर हैं. तभी तो अपने देश में सियासी भूचाल मचे होने के बावजूद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयप एर्दोगन के शपथ ग्रहण समारोह में पहुंच गए. हालांकि कर्ज के बोझ तले दबा पड़ोसी मुल्क यहां भी हाथ फैलाने से नहीं चूका.
पाकिस्तान पर करीब 12,600 करोड़ डॉलर का कर्ज है. उस पर से अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) नया कर्ज देने के फिलहाल मूड में नहीं है. उसने पाकिस्तान के आगे कई शर्तें रखी हैं. एर्दोगन के शपथ ग्रहण में शामिल हुए शहबाज शरीफ ने तुर्की पहुंचते ही मदद मांगनी शुरू कर दी. उन्होंने तुर्की के निवेशकों से अपील की कि वे पाकिस्तान में निवेश करें.
शहबाज शरीफ ने शपथ ग्रहण से इतर कई बड़ी कंपनियों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की. जिस प्रतिनिधिमंडल से उन्होंने मुलाकात की, उनमें कोका कोला के CEO करीम याही, चीफ स्ट्रेटेजी ऑफिस अतिलिया येरलिकाया और हेड ऑफ पब्लिक पॉलिसी तायलान कोबान शामिल थे. इनसे मुलाकात के दौरान शहबाज शरीफ ने इन कंपनियों से पाकिस्तान में निवेश करने की अपील की. साथ ही पाकिस्तानी लोगों के लिए रोजगार पैदा करने की बात कही.
कई सेक्टर में निवेश की बात
पाकिस्तान के पीएम और कंपनियों के बीच मुलाकात में पाकिस्तान के कई सेक्टर में निवेश की बात हुई. पावर सेक्टर, निर्माण कार्य, इंजीनयरिंग के क्षेत्र में पाकिस्तान ने निवेश के लिए न्योता दिया है. दरअसल पिछले साल तुर्की और पाकिस्तान के बीच एक समझौता हुआ था, जो एक मई से लागू हो गया. इस समझौते के जरिए दोनों देशों के बीच पारंपरिक और गैर-पारंपरिक व्यापार को बढ़ावा मिलेगा.
तुर्की में ही मिला था 150 मिलियन पाउंड का कर्ज
पिछले साल नवंबर में तुर्की से ही पाकिस्तान को मदद मिली थी. इकोनॉमिक कॉरपोरेशन संघ (ECO) ने इस्तांबुल में 150 मिलियन यूरो का सॉफ्ट लोन पाकिस्तान को दिया गया था. यह लोन पाकिस्तान को बाढ़ राहत कार्य के लिए दिया गया था. साथ ही शहबाज शरीफ ने तुर्की के निवेशकों से पाकिस्तान में 5 बिलियन डॉलर का निवेश करने की अपील की थी. तुर्की लंबे समय से पाकिस्तान का सहयोगी रहा है.
बेइज्जत होने के बाद भी पहुंचे तुर्की
इसी साल फरवरी में तुर्की में भीषण भूकंप आया था, जिसमें 35 हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे. इस बीच भूकंप पीड़ितों के प्रति संवेदना जताने के बहाने पाक पीएम शहबाज शरीफ ने तुर्की जाने का ऐलान किया था. मगर तुर्की ने पाकिस्तान को साफ तौर पर कहा कि हम अभी मेहमाननवाजी करने की स्थिति में नहीं हैं, इसलिए वह इस दौरे को रद्द कर दें. बावजूद इसके शहबाज शरीफ तुर्की पहुंच गए. माना गया कि भूकंप पीड़ितों के प्रति संवेदना जताना तो महज एक बहाना था, वह पाकिस्तान के लिए पैसा मांगने गए थे.
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