इस्लामाबाद । पाकिस्तान (Pakistan) के उच्चतम न्यायालय ( Supreme Court) ने प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करने के नेशनल असेंबली के उपाध्यक्ष (National Assembly Deputy Speaker) कासिम सूरी (Qasim Suri) के विवादास्पद फैसले को रद्द कर दिया. यह क्रिकेटर से नेता बने खान के लिए एक बड़ा झटका है और अब अदालत के फैसले के बाद उन्हें संसद में अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ेगा. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद इमरान खान ने कहा है कि वह पाकिस्तान के लिए आखिरी बॉल तक लड़ते रहेंगे.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने ट्वीट करते हुए लिखा है, ‘मैंने शुक्रवार को कैबिनेट बैठक के साथ ही संसदीय पार्टी की बैठक बुलाई है. इसके साथ ही शुक्रवार शाम को देश को संबोधित करूंगा. मेरा राष्ट्र के नाम संदेश है कि मैं पाकिस्तान के लिए आखिरी बॉल तक लड़ता रहा हूं और लड़ता रहूंगा.’
गौरतलब है कि इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी से जुड़े सूरी ने तीन अप्रैल को खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया था. सूरी ने दावा किया था कि यह सरकार को गिराने के लिए ‘विदेशी साजिश’ से जुड़ा है और इसलिए यह विचार योग्य नहीं है. अविश्वास प्रस्ताव खारिज किये जाने के कुछ देर बाद, राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने प्रधानमंत्री खान की सलाह पर नेशनल असेंबली को भंग कर दिया था.
I have called a cabinet mtg tomorrow as well as our parl party mtg; & tomorrow evening I will address the nation. My message to our nation is I have always & will continue to fight for Pak till the last ball.
— Imran Khan (@ImranKhanPTI) April 7, 2022
मुख्य न्यायाधीश उमर अता बंदियाल पांच सदस्यीय पीठ का नेतृत्व कर रहे थे जिसमें न्यायमूर्ति इजाजुल अहसन, न्यायमूर्ति मोहम्मद अली मजहर मियांखेल, न्यायमूर्ति मुनीब अख्तर और न्यायमूर्ति जमाल खान मंडोखेल शामिल थे. न्यायमूर्ति बंदियाल ने संसद में अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करने के संबंध में उपाध्यक्ष के विवादास्पद फैसले को असंवैधानिक घोषित कर दिया. पांच सदस्यीय पीठ ने संसद को भंग करने को भी सर्वसम्मति से असंवैधानिक घोषित कर दिया. पीठ ने संसद को बहाल किया और प्रधानमंत्री खान द्वारा राष्ट्रपति अल्वी को नेशनल असेंबली भंग करने की सलाह को असंवैधानिक घोषित कर दिया.
अदालत ने स्पीकर को 9 अप्रैल को सुबह 10 बजे नेशनल असेंबली का सत्र बुलाने का आदेश दिया ताकि अविश्वास प्रस्ताव पर मतविभाजन किया जा सके. उच्चतम न्यायालय के अंदर और आसपास सुरक्षा बढ़ा दी गई थी. अदालत भवन के बाहर दंगा पुलिस बल तैनात किया गया था. सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश बंदियाल ने कहा कि उपाध्यक्ष का फैसला प्रथम दृष्टया अनुच्छेद 95 का उल्लंघन है.
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