नई दिल्ली। देश में आम चुनाव 2024 में होना है और अभी समय भी है, किन्तु उससे पहले 2023 में कम से कम नौ राज्यों में विधानसभा चुनाव (assembly elections) होंगे और यह लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) के लिए रास्ते बनाएंगे। यही कारण है कि राजनीतिक पार्टियों ने लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) को देखते हुए विधानसभा चुनाव के लिए भी पूरी तरह से कमर कस ली है।
भाजपा (BJP) की मिशन-2024 की तैयारियों (Mission-2024 preparations) के केंद्र में यूपी है। सबसे बड़े सूबे में पार्टी पुराना प्रदर्शन दोहराने के साथ ही वोट शेयर बढ़ाना चाहती है। तैयारियों में जुटी भाजपा अपने सभी सांसदों का रिपोर्ट कार्ड तैयार करवा रही है। चुनाव जीतने के बाद अपने संसदीय क्षेत्रों से दूरी बनाना अब भाजपा के कई सांसदों को भारी पड़ सकता है। इसके लिए बेहद गोपनीय ढंग से सर्वेक्षण कराया जा रहा है। हर लोकसभा क्षेत्र में सांसद के काम और उसकी लोकप्रियता का आंकलन हो रहा है। उनकी कार्यशैली से लेकर जनता और कार्यकर्ताओं में छवि भी सर्वेक्षण का हिस्सा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा संसदीय दल की हालिया बैठक में सांसदों को ज्यादा समय क्षेत्र में रहने की नसीहत दी थी। पीएम ने ऐसा यूं ही नहीं कहा। पार्टी सूत्रों की मानें तो सर्वेक्षण के आधार पर तमाम सीटों का फीडबैक पार्टी नेतृत्व तक पहुंचा है। इसमें कुछ सांसदों की अपने क्षेत्र में बेहद कम सक्रियता का मामला भी शामिल है। चूंकि 2014 व 2019 में भाजपा की प्रचंड जीत में यूपी की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण रही है।
फिलहाल प्रदेश की 80 में से 64 लोकसभा सीटें भाजपा और दो उसके सहयोगी अपना दल (एस) के पास हैं। इनमें से बड़ी संख्या में सांसदों ने 2019 में मोदी लहर पर सवार होकर चुनावी वैतरणी पार की थी। कुछ क्षेत्र में सक्रिय रहे तो कइयों ने मुंह मोड़ लिया। ऐसे सांसदों की शिकायतें प्रदेश से लेकर केंद्रीय नेतृत्व तक भी पहुंची हैं।
लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटी पार्टी ऐसी किसी कमजोर कड़ी को लेकर जोखिम नहीं उठाना चाहती। लिहाजा यूपी के सांसदों का भी पूरा ब्योरा जुटाया जा रहा है। बीते दिनों इंडिया टुडे और सी वोटर का सर्वेक्षण सामने आया था। इसके अलावा भाजपा अलग से भी सर्वेक्षण करा रही है। पार्टी लोकसभा और विधानसभा चुनावों में पहले भी ऐसा करती रही है। सूत्रों का कहना है कि काफी लोकसभा क्षेत्रों का सर्वे पूरा भी हो चुका है।
बीते दिनों मुख्यमंत्री ने भी मंडलवार सांसद-विधायकों संग बैठकें की थी। उन्होंने सांसदों को समन्वय बनाने की सलाह भी दी थी। सीएम ने यह भी कहा था कि कोई भी यह न मान ले कि उसकी टिकट पक्की है। नेतृत्व जिसे टिकट देगा, वही प्रत्याशी होगा। सभी सांसदों को ज्यादा से ज्यादा जनता के बीच रहने की सलाह सीएम ने दी थी। साथ ही सांसदों से पांच और विधायकों से तीन-तीन करोड़ रुपये के विकास कार्यों के प्रस्ताव भी लिए गए थे।
हाल ही में एक मीडिया सर्वे में लोगों से सवाल किया गया कि अगर आज देश में लोकसभा के चुनाव हों तो किसकी सरकार बनेगी। इस सवाल के जवाब में बहुमत एनडीए की सरकार के पक्ष में आया है। यानी अभी चुनाव हों तो एक बार फिर से एनडीए की सरकार बनेगी, हालांकि कांग्रेस के प्रदर्शन में सुधार हुआ है लेकिन अभी भी यह इतना नहीं है कि मोदी सरकार को हटा सके।
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