इस्लामाबाद: पाकिस्तान (Pakistan) 28 मई 1998 को परमाणु शक्ति संपन्न देश बना था। भारत (India) में इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) के समय परमाणु परीक्षण (Nuclear Testing) किए जाने के बाद पाकिस्तान के नेताओं ने घास खाकर भी एटम बम (atom bomb) बनाने की बात कही थी। इस पर काम करते हुए आखिरकार 1998 में पाकिस्तान ने एटम बम बनाने में कामयाबी हासिल की। परमाणु शक्ति बनने के 26 साल बाद क्या पाकिस्तान को इससे फायदा हुआ और कैसे भारत की परमाणु ताकत से तुलना की जा सकती है। इस पर पाकिस्तान के यूट्यूबर सुहेब चौधरी ने आम लोगों से बात की है। सुहेब से बात करते हुए आम पाकिस्तानियों ने कहा कि परमाणु बम बनाना अपनी जगह ठीक है लेकिन आर्थिक तौर पर जिस तरह से देश पिछड़ता गया है, वो इसकी अहमियत को भी कम करता है।
‘भारत ने परमाणु के साथ दूसरे क्षेत्रों में भी काम किया’
साजिद अब्बास नाम के शख्स ने कहा कि आम लोगों की जरूरत को शायद सत्ता में बैठे लोग जानते ही नहीं है या वो जानना ही नहीं चाहते हैं। पाकिस्तान के लोगों को सस्ती रोटी, सस्ते घर, रोजगार की जरूरत है ना कि बड़े मोटरवे और परमाणु बम की। अब्बास ने कहा कि सबसे जरूरी आम लोगों को मजबूत करना है। भारत ने परमाणु बनाया तो साथ ही आईटी सेक्टर में भी काम किया है। भारत ने लोगों को बढ़ाया और एक बड़ी मिडिल क्लास 90 के बाद बनाई है। पाकिस्तान ने बम तो बनाया लेकिन आर्थिक क्षेत्र में पिछड़ गया। पाकिस्तान के पास बम है लेकिन बम को तो नहीं खा सकते हैं ना, खाने को तो रोटी ही चाहिए होती है।
सुहेब से एक और पाकिस्तानी ने कहा कि दुनिया में नाटो जैसी ताकत है। उनके पास वीटो जैसी ताकत है। इस ताकत के दम पर उन्होंने दुनिया को एक तरह से गुलाम बना रखा है। उनके पास सिर्फ फौज नहीं है, उनके पास तमाम क्षेत्रों में ताकत है। पाकिस्तानी बात तो जज्बे की करते हैं लेकिन सिर्फ जज्बे से काम नहीं करते हैं। जब तक तकनीक और आर्थिक तौर पर हम खुद को मजबूत नहीं करेंगे, कुछ नहीं होगा। भारत की अहमियत भी अगर बढ़ रही है तो इसकी बहुत बड़ी वजह ये है कि उनके पास एक बड़ा बाजार है ना कि किसी बम से कोई डरा हुआ है।
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