लखनऊ: समाजवादी पार्टी ने शनिवार को शिवपाल सिंह यादव और ओमप्रकाश राजभर को खुली चिट्ठी लिखी है, जिसके बाद राजनीति गरमा गई है. इसमें दोनों को गठबंधन छोड़ने के साफ संकेत दिए हैं. सपा की चिट्ठी के बाद सबसे पहले राजभर का बयान आया है. ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि इस तलाक को मंजूर करते हैं. आगे इसका जवाब देंगे.
ओपी राजभर ने आगे कहा कि पिछड़ों-दलितों की आवाज उठाने का नतीजा है. इस तलाक को मंजूर करते हैं और आगे इसका जवाब देंगे. उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव चमचों और सलाहकारों से घिरे हैं. उन्होंने नाम भी गिनाए. कहा- संजय लाठर, अरविंद गोप, नरेश उत्तम, अनुराग भदौरिया जैसे लोग अखिलेश के नवरत्न हैं.
राजभर एक एक राजनीतिक ‘बेताल’….
समाजवादी पार्टी गठबंधन से ओम प्रकाश राजभर से अलग होने पर AIMIM प्रवक्ता आसिम वकार का बयान आया है. उन्होंने ओपी राजभर को एक राजनीतिक ‘बेताल’ बताया है, जो राजनीति के लिए विक्रम के कंधे बदलते रहते हैं. उन्होंने कहा कि इसकी जिम्मेदारी अखिलेश यादव की है. राजभर की पार्टी के 6 विधायक बनाने में मुसलमानों की बड़ी भूमिका है. उन्होंने इसलिए राजभर की पार्टी को वोट दिया क्योंकि सपा के साथ थे.
बता दें इससे पहले ही ओपी राजभर ने साफ कर दिया था कि उनका अगला ठिकाना बहुजन समाज पार्टी होगी. उन्होंने कहा कि बहनजी से बातचीत होगी और आगे की रणनीति तय की जाएगी. राजभर ने सीएम योगी की तारीफ पर कहा कि हम हमेशा से उनकी तारीफ करते रहे. मुझे जो सुरक्षा मिली, उसके लिए मैंने पत्र लिखा था. उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव ने और यशवंत सिन्हा ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोट नहीं मांगा. ना मुझे बुलाया गया तो उन्हें वोट कहां से दे देता.
बसपा को बीजेपी की बी टीम कहने पर कहा कि जो टीम हारती है, वह B ही होती है. ऐसे में सपा भी B है. कांग्रेसी भी B है. उन्होंने कहा कि मायावती का काम दिखाता है. लखनऊ का 1090 देख लीजिए. मायावती दलित और अति पिछड़ों की बड़ी नेता हैं. उन्होंने कहा कि काफी अच्छा हुआ कि तलाक हो गया. हम इसका इंतजार था. हम इसको कबूल करते हैं. जो सच था- वह मैंने कहा. पार्टी में क्या होता है, टिकट कैसे बनते हैं, यह कहने की सजा मिली.
बता दें कि ओमप्रकाश राजभर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष हैं. उन्होंने विधानसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी से गठबंधन किया था. सुभासपा ने चुनाव में 6 सीटें जीती थीं. हाल ही में आजमगढ़ लोकसभा सीट पर उपचुनाव में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की सक्रियता पर राजभर ने सवाल उठाया था. उन्होंने कहा था कि अखिलेश को एसी कमरों से बाहर निकलना चाहिए.
राजभर के इस बयान के बाद अखिलेश ने जवाब दिया था कि सपा को किसी की सलाह की जरूरत नहीं है. बाद में प्रेसिडेंट इलेक्शन में दोनों दलों के बीच दूरियां और बढ़ गईं. राजभर और उनकी पार्टी ने एनडीए समर्थित उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को वोट दिया था. हाल ही में राजभर ने एक बयान में कहा था कि अखिलेश यादव का इशारे मिलते ही वह गठबंधन छोड़ देंगे.
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