नई दिल्ली । कोरोना महामारी (Corona epidemic) के शुरुआती दौर में पूरी दुनिया में ‘केरल मॉडल’ (Kerala model) के रूप में प्रशंसा पाने वाला राज्य अब संक्रमण (Infection) का हॉटस्पॉट ( Hotspot) बन गया है। पहली व दूसरी लहर के दौरान भी लंबे वक्त तक केरल कोरोना संक्रमण (corona infection) से पीड़ित रहा था। केरल में कोरोना संक्रमण की जांच पॉजिटिविटी दर 37 फीसदी (Positivity Rate 37 Percent) पहुंच गई है । स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज (Health Minister Veena George) का कहना है कि पहली व दूसरी लहर के विपरीत इस बार संक्रमण शुरुआती दौर में ही बहुत तेजी से फैल रहा है। उन्होंने कहा कि अगले दो-तीन सप्ताह राज्य के लिए बहुत चुनौतीपूर्ण होंगे।
केरल में संक्रमण दर 37.18 प्रतिशत हो गई है, जबकि सात दिनों की औसत दर 29.55 प्रतिशत है। अभी राज्य में 1,68,384 संक्रमित मरीज हैं, अच्छी बात ये है कि इसमें केवल 3.08 प्रतिशत मरीज ही अस्पताल में भर्ती हैं। बीते बुधवार को राज्य में 34,199 नए मरीज मिले जबकि 91,983 नमूनों की जांच हुई। चिंता की बात यह है कि 12 जनवरी से 18 जनवरी के बीच राज्य में दर्ज हुए नए मरीजों की संख्या में 211 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
ऑक्सीजन व आईसीयू बेड भी भरने लगे
केरल में बुधवार को संक्रमण में तेज उछाल दर्ज होते ही एक दिन में 20 फीसदी ऑक्सीजन बेड और 15 फीसदी आईसीयू बेड भर गए। त्रिवेंद्रम मेडिकल कॉलेज के एसोसिएट प्रो. अनिश टीएस का कहना है कि एक दिन में ही आया यह बदलाव दिखाता है कि भले कोरोना का कम खतरनाक वेरिएंट ही क्यों न फैल रहा हो मगर उसके फैलने की गति बहुत तेज हो तो वह सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा संकट ला सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि राज्य में अभी वरिष्ठ नागरिक और उच्च जोखिम वाले लोग संक्रमण की सबसे ज्यादा चपेट में आ रहे हैं। केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम के हालात सबसे खराब हैं। बीती 18 जनवरी को राज्य में जितने नए केस दर्ज हुए, उसमें से 24 फीसदी नए केस यहीं से थे। इतना ही नहीं, जिले की जांच पॉजिटिविटी दर 48 फीसदी दर्ज की गई थी। यानी जांच कराने वाले हर दो लोगों पर एक व्यक्ति संक्रमित निकला। इसके अगले दिन 19 जनवरी को जिले की रोजाना जांच पॉजिटिविटी दर 45.8 फीसदी दर्ज की गई।
पहली दो लहरों के मुकाबले तेजी से फैल रहा ओमिक्रॉन
केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज का कहना है कि कोविड-19 की पहली और दूसरी लहरों के विपरीत, तीसरी लहर की शुरुआत से ही राज्य में संक्रमण बहुत तेजी से फैल रहा है। दूसरी लहर में प्रसार दर (आर वेल्यू) 2.68 थी तो अब यह 3.12 है। जिसका अर्थ है कि कोरोना के ओमिक्रॉन संस्करण का प्रसार, डेल्टा संस्करण के छह गुना ज्यादा है। बता दें आर वेल्यू एक मरीज द्वारा संक्रमित होने की संभावना वाले लोगों की संख्या को दर्शाती है। राज्य में हाल के दिनों में एहतियात बरतने के बाद भी 1508 स्वास्थ्यकर्मी संक्रमित हो चुके हैं।
इसलिए बना था मॉडल
केरल देश में सबसे बेहतर स्वास्थ्य संसाधन वाला राज्य है। साथ ही इस राज्य का तंत्र कई प्राकृतिक आपदाओं से सफलतापूर्वक निपटने में सक्षम रहा है और निपाह वायरस के प्रकोप के चलते राज्य में कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग की व्यवस्था बेहतर है। इन वजहों के चलते महामारी की शुरुआत में केरल में बेहतर कोविड प्रबंधन हुआ।
इस वजह से बना कोरोना का केंद्र
क्रिश्चन मेडिकल कॉलेज से सेवानिवृत महामारी विशेषज्ञ जैकब जॉन का कहना है कि केरल पर उसकी शुरुआती सफलता ही भारी पड़ गई। कोरोना महामारी की शुरुआत में जब केंद्र ने पहली सख्त तालाबंदी की थी, उससे पहले ही केरल तालाबंदी में था। इस तरह वहां लोग संक्रमण की भयावहता से बच गए। मगर दूसरी लहर से ठीक पहले पोंगल पर्व के दौरान लोगों ने खूब लापरवाही बरती।
चूंकि पहले लगायी गई सख्ती पाबंदियों के चलते केरल की बहुत बड़ी आबादी का शरीर कोरोना के प्रति इम्यून नहीं हो पाया था, इसी वजह से दूसरी लहर के दौरान यहां बहुत बड़ी तादाद में लोग संक्रमित हुए। हालांकि राज्य सरकार संक्रमण का चरम टालने में सफल हुई। जब पूरे देश में अप्रैल-मई के दौरान संक्रमण चरम पर था, तब जाकर केरल में संक्रमण फैलना शुरू हुआ था जो अगस्त-सितंबर तक चला। जुलाई में हुए चौथे राष्ट्रीय सीरो सर्वे से पता लगा कि केरल की 44.4 फीसदी आबादी के ही शरीर में कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी पायी गई, यह भी एक अहम वजह है कि कोरोना की जद में आने से बच गए केरल के लोगों पर तीसरी लहर में खतरा तेजी से बढ़ रहा है।
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