– सुरेश हिंदुस्थानी
कोरोना की तीसरी लहर ने अपने कदम बढ़ाने प्रारंभ कर दिए हैं। आम आदमी जिस प्रकार लापरवाह हुआ है, उससे यही आशंका उत्पन्न होने लगी है कि ओमीक्रोन निश्चित प्रभाव दिखाएगा। इसके पीछे बड़ा कारण यही माना जा रहा है कि भारतीय समाज का बड़ा हिस्सा नियम-कानून के पालन की मानसिकता नहीं बना पाया है। इसके कारण जहां व्यक्तिगत स्तर पर कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है, वहीं यह लापरवाही समाज के लिए अत्यंत घातक हो जाती है।
कोरोना संक्रमण की पिछली दो लहरों ने समाज को बहुत बड़ा सबक दिया लेकिन इस सबक का प्रभाव धीरे-धीरे विस्मृत होता जा रहा है। समाज ने इस प्रकार से जीना प्रारंभ कर दिया, जैसे कोरोना आया ही नहीं था। पहले और दूसरे संक्रमण के दौरान लगाए गए लॉकडाउन के दौरान जनमानस अच्छे-बुरे की पहचान कर चुका है, लेकिन ऐसा लगता है कि हम जानते हुए अनजान बन जाते हैं। इसी कारण यह परिलक्षित हो रहा है कि हम जीवन के प्रति सचेत नहीं हैं।
तीसरी लहर की जद में विश्व के कई देश आ चुके हैं। दक्षिण अफ्रीका, आस्ट्रेलिया और अमेरिका जैसे अपने आपको अत्यंत समृद्ध मानने वाले देशों की स्थिति विकराल होती जा रही है। कई देश पहली और दूसरी लहर के संत्रास से बाहर निकल भी नहीं पाए थे कि अचानक तीसरी लहर ने भी दस्तक दे दी।
भारत के लिए राहत है कि भारतीय वैक्सीन पहले भी सकारात्मक परिणाम देने में सार्थक प्रमाणित हुई है। अब तीसरी लहर की भयावह आशंका के बीच कहा जाने लगा है कि भारतीय वैक्सीन ओमीक्रोन को भी परास्त करने में सफल होगी। लेकिन हमें किसी प्रकार से आश्वस्ति की आवश्यकता नहीं है। आश्वस्ति का भाव निश्चित ही मनोबल बढ़ाने का कार्य करती है, परंतु इस मनोबल को बनाए रखने के लिए किसी भी प्रकार की अफवाह से खुद को मुक्त रखना, हम सभी का प्राथमिक कर्तव्य होना चाहिए।
हम जानते हैं कि पहली लहर से पूर्व देश के कुछ हिस्सों में कोरोना संक्रमण रोकने के लिए धारा 144 और कर्फ्यू लगाने की आवश्यकता हुई। यह सब जनता को बड़े खतरे की चपेट में आने से रोकने के लिए किया गया। जो बहुत हद तक सफल भी रहा, लेकिन दूसरी लहर में फैली अफवाहों ने जनता के हौसले को तोड़ने का काम किया। विसंगति यह थी कि जिस विभाग को इसे रोकने का प्रयास करना चाहिए था, उसके ही कुछ स्वार्थी मानसिकता से ग्रस्त व्यक्तियों ने अपना लाभ देखने का भरपूर प्रयास किया। इस बार शासन, प्रशासन और आम जनता को भी सक्रिय भूमिका का प्रदर्शन करते हुए भ्रम फैलने से पहले ही जागरण का कार्य करना चाहिए, नहीं तो ऐसा न हो कि फिर से दूसरी लहर के दौरान बनने वाले हालात पैदा हो जाएं।
चीन के वुहान शहर से फैले कोरोना वायरस को शुरू में दुनिया के देशों ने हल्के में लिया, लेकिन जैसे ही कोरोना का विकराल रूप सामने आया, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। अमेरिका जैसे विकसित और चिकित्सा के क्षेत्र में बेहतर सेवा देने वाले इटली जैसे देशों में भी इस वायरस ने तबाही ला दी। अब कोरोना का नया वेरिएंट दक्षिण अफ्रीका से सामने आया है। कहा जा रहा है कि यह वायरस वैश्विक रूप से अपना प्रभाव दिखाएगा। इसलिए दुनिया के कई देश इसके प्रभाव को रोकने के लिए व्यापक तैयारियां कर रहे हैं। भारत में भी ओमीक्रोन संक्रमित व्यक्ति मिल रहे हैं। इसके निहितार्थ यही हैं कि भारत में भी इसका दुष्प्रभाव देखने को मिलेगा। इसे रोकने के लिए शासन स्तर पर तो नीति बनाई जा रही होंगी, लेकिन सामाजिक स्तर भी अभी से ठोस पहल करने की आवश्यकता है।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)
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