नई दिल्ली। भारत में कई अजीबोगरीब जगहें (Weird Places in India) मौजूद हैं, जिनके बारे में जानकर लोग हैरान हो जाते हैं। कुछ जगहें लोगों को डरा देती हैं जबकि कुछ जगहें लोगों को चौंका देती हैं। आज हम आपको भारत की ही एक ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके बारे में जानकर आप चौंक जाएंगे। जिस जगह की बात हम कर रहे हैं वो गुजरात में है और वहां ग्रैविटी यानी गुरुत्वाकर्षण बल (Place in Gujarat where gravity doesn’t work) काम नहीं करता है।
सोचिए, आपने अपनी कार किसी पहाड़ी रास्ते पर न्यूट्रल में कर के खड़ी कर दी है। इसके बाद कार किस दिशा में अपने आप चलने लगेगी? न्यूट्रल में करने के बाद जब गाड़ी का गियर हटा हुआ तो उसका मतलब कि वो अपने आप नीचे की दिशा में ही बढ़ेगी. इसके पीछे का कारण ग्रैविटी है। जैसा कि हम जानते हैं कि हर चीज गुरुत्वाकर्षण बल के कारण नीचे की और जाती है, मगर गुजरात के जिस जगह की हम बात कर रहे हैं वहां कारें नीचे नहीं ऊपर की ओर जाती हैं।
गुजरात के तुलसीश्याम (Tulsishyam, Gujarat) गांव में बड़ी ही अजीबगोरीब जगह हैं। एक ऐसा टीला है जहां लोगों का मानना है कि ग्रैविटी काम नहीं करती है. लोग यहां तरह-तरह के एक्सपेरिमेंट करते हैं जिसके जरिए उन्हें पता लगता है कि कुछ भी पहाड़ों पर रख दो तो वो नीचे नहीं ऊपर की दिशा में जाएंगे।
जूनागढ़ में गिर के जंगल के बीच स्थित तुलसीश्याम में भगवान कृष्ण का एक 3 हजार साल पुराना कृष्ण मंदिर भी है जहां साथ ही एक गर्म चश्मा भी मौजूद है। आस्था और चमत्कार से जुड़ी ऐसी चीजों के बीच इस तरह के टीले का होना चौंकाने वाला है। पर क्या वास्तव में ये कोई चमत्कार है या इसके पीछे विज्ञान है?
क्या है तुलसीश्याम का सच
लोगों को लगता है कि इन जगह भूतों का साया है या फिर भगवान कृष्ण की कोई महिमा है। मगर सच ये है कि इस रास्ते में कुछ भी अजीबगरीब नहीं है। ये सिर्फ आंखों का धोखा (Optical Illusion) है, जिस टीले की बात हम कर रहे हैं उसके दोनों ओर की जमीन उभरी हुई है, साथ ही सड़क के क्षितिज को दूर से देखकने पर पता चलता है कि जैसे सामने का रास्ता ऊपर की ओर चढ़ रहा है मगर ऐसा नहीं है। रास्ते में आगे की ओर ढलान है और इसीलिये, कार पीछे की ओर ना खिसकर आगे की ओर खिसकती है। जानकारों के अनुसार ऐसा सिर्फ गुजरात में ही नहीं, कई जगहों पर होता है जहां ढलान दार रास्ता भी अपनी अगल-बगल की जमीन के कारण उठा हुआ लगने लगता है।
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