जम्मू। नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) ने भारत (India) में जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir Accession) के विलय पर बड़ा बयान दिया है। उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि यदि मुसलमानों (Muslims) को पता होता कि हिंदुस्तान में उन्हें दबाया जाएगा और सिर्फ एक मजहब को तरजीह (preference for one religion) दी जाएगी, तो उनका फैसला कुछ और होता।। उमर अब्दुल्ला ने साथ ही कहा कि हम उस हिंदुस्तान में शामिल हुए थे जहां हर मजहब को बराबर के नजरिए से देखा जाता था, और आज का हिंदुस्तान उससे बिल्कुल अलग है।
‘…तो शायद हमारा फैसला कुछ और होता’
उमर अब्दुल्ला ने कहा, ‘ये वो हिंदुस्तान नहीं है जिसमें जम्मू-कश्मीर शामिल हुआ था। हम उस हिंदुस्तान में शामिल हुए थे जिसमें हर मजहब को बराबर के नजरिए से देखा गया था। हमें यह नहीं कहा गया था कि एक मजहब को ज्यादा अहमियत दी जाएगी और बाकी मजहबों को दबाया जाएगा। अगर हमसे यह कहा गया होता तो शायद हमारा फैसला कुछ और होता। हम भाईचारे की बात करते हैं, और हमारा मुकाबला उन लोगों के साथ है जो इस भाईचारे को तहस-नहस करना चाहते हैं। लेकिन हम इसकी इजाजत नहीं देंगे।’
बारामूला के स्कूल में हिजाब विवाद पर भी बोले
बारामूला के एक विशेष स्कूल में शिक्षकों द्वारा हिजाब नहीं पहनने को कहे जाने संबंधी खबरों पर उमर अब्दुल्ला ने कहा कि इसमें स्कूल गलत है। अब्दुल्ला ने कहा, ‘इस देश में सभी को अपना धर्म मानने की आजादी है। यह हमारे संविधान में लिखा है कि हम धर्मनिरपेक्ष देश हैं, जिसका अर्थ है कि सभी धर्म समान हैं। मुझे नहीं लगता है कि किसी सरकार को इससे छेड़छाड़ करनी चाहिए। ऐसे खतरे से खेलने से देश के लिए समस्या खड़ी हो सकती है। हम चाहेंगे कि ऐसे फैसले ना लिए जाएं। सभी पंथों के लोग अपना-अपना धर्म मानने के लिए आजाद हैं।’
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