नई दिल्ली (New Delhi)। सुप्रीम कोर्ट (SC) की पांच सदस्यीय संविधान पीठ (constitution bench) ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर (J&K) पर बड़ा फैसला सुना दिया। पीठ ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 (Article 370) को निरस्त करने का आदेश संवैधानिक तौर पर वैध था। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की उन दलीलों को खारिज कर दिया कि राष्ट्रपति शासन के दौरान केंद्र द्वारा कोई अपरिवर्तनीय कार्रवाई नहीं की जा सकती है।
जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के केंद्र सरकार के फैसले को जायज ठहराते हुए सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि राज्य में भारत का संविधान ही चलेगा. उच्चतम न्यायालय के इस फैसले के बाद सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के सीनियर लीडर उमर अब्दुल्ला ने निराशा जाहिर की है.
उन्होंने कहा कि मैं “निराश हूं, लेकिन हतोत्साहित नहीं. संघर्ष जारी रहेगा. यहां तक पहुंचने में बीजेपी को दशकों लग गए. हम भी लंबी दौड़ के लिए भी तैयार हैं.’ इससे पहले रविवार को बारामूला में एक जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था कि जम्मू कश्मीर में पार्टी का 370 को पुनर्बहाल करने की लड़ाई शांतिपूर्वक तरीके से जारी रहेगी.
कोर्ट ने कहा कि “जब राजा हरि सिंह ने भारत के साथ विलय समझौते पर दस्तखत किए, जम्म-कश्मीर की संप्रभुता खत्म हो गई. वह भारत के तहत हो गया. साफ है कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है. भारत का संविधान जम्मू-कश्मीर के संविधान से ऊंचा है. अनुच्छेद 370 एक अस्थायी व्यवस्था है.
जम्मू कश्मीर पर फैसला केंद्र का चलेगा
जम्मू कश्मीर के अनुच्छेद 370 को हटाए जाने को लेकर भी लगायी गई याचिकाओं पर पूरी स्थिति स्पष्ट करते हुए मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड ने चार महत्वपूर्ण बिंदुओं पर रुख स्पष्ट किया. उन्होंने कहा, “जम्मू-कश्मीर को संप्रभुता नहीं. राष्ट्रपति शासन पर विचार की जरूरत नहीं है. जम्मू-कश्मीर संविधान सभा के भंग हो जाने से राष्ट्रपति की शक्ति पर कोई असर नहीं पड़ता और अपने अंतिम आदेश में सीजेआई ने जम्मू कश्मीर से 370 को हटाए जाने को संवैधानिक फैसला करार देते हुए कहा कि 370 को हटाने का अधिकार राष्ट्रपति के पास है. अब यहां केंद्र सरकार का फैसला चलेगा.
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