नई दिल्ली (New Delhi)। ओम बिरला (Om Birla) को फिर से लोकसभा स्पीकर (Lok Sabha Speaker) चुना गया है. बुधवार को 18वीं लोकसभा (18th Lok Sabha) के पहले सत्र में ध्वनिमत से स्पीकर का चयन किया गया. ओम बिरला लोकसभा के स्पीकर की कुर्सी पर लगातार दूसरी बार बैठने के बाद पहले ही दिन पूरी फॉर्म (Looked full form first day) में दिखे. उन्होंने अपने पहले भाषण में आपातकाल को काला धब्बा (Emergency black spot) बताया. विपक्ष के तंज पर ओम बिरला के तेवर की सोशल मीडिया पर भी खूब चर्चा हो रही है।
ओम बिरला ने इमरजेंसी के दौरान जान गंवाने वाले लोगों के लिए दो मिनट का मौन रखवाया. सत्ता पक्ष ने तब मौन रखा लेकिन विपक्ष ने हंगामा किया. तुरंत विपक्ष की तरफ से कहा गया कि स्पीकर तो बीजेपी के एजेंडे पर चलने लगे हैं. हंगामा होने पर स्पीकर बिरला ने विपक्षी नेताओं को अपनी तेवर दिखा दिए।
राहुल गांधी, अखिलेश यादव, ओवैसी, सुप्रिया सुले, अरविंद सावंत समेत विपक्ष के हर नेता ने जब स्पीकर ओम बिरला को ये बताना चाहा कि इस बार संसद की सूरत बदलनी चाहिए, तब विपक्ष से आते तंज के बीच लोकसभा अध्यक्ष ने भी अपने तेवर दिखा दिए. जब विपक्ष के कई सांसद एक साथ खड़े हुए तो ओम बिरला का एक जवाब बुधवार को सबसे ज्यादा चर्चा में आया कि स्पीकर जब खड़ा हो जाता है तो माननीय सदस्यगण बैठ जाया करें. ये मैं पहली बार कह रहा हूं. मुझे पांच साल ना कहना पड़े।
‘अगले 5 साल मुझे यह कहने का अवसर न मिले’
दरअसल, AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी के संबोधन से पहले कुछ सांसदों ने शोर मचाया और अपनी जगह खड़े हो गए. इस पर ओम बिरला नाराज नजर आए. वह अपनी कुर्सी पर खड़े हुए और सांसदों से शांत रहने को कहा. स्पीकर ने स्पष्ट कहा कि सांसदों को नाम लेने पर ही एक-एक मिनट के लिए बोलना है. सांसदों को शांत कराने के बाद ओम बिरला अपनी कुर्सी पर बैठे और कहा, “माननीय सदस्यगण आप सभी को अवगत कराना चाहता हूं कि जब स्पीकर सीट से खड़ा हो जाता है तो मैं कहना चाहता हूं कि आप सभी सांसदों को तुरंत बैठ जाना चाहिए. ये मैं पहली बार कह रहा हूं, अगले 5 साल मुझे यह कहने का अवसर ना मिले।
स्पीकर बिरला ने कुछ यूं दिखाए तेवर
इसी तरह जब हरसिमरत कौर को बोलने का मौका मिला और वो बीजेपी-कांग्रेस पर निशाना साधने लगीं तो स्पीकर ने सियासी भाषण बाद में देने को कहा. ऐसे ही जब नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद आगा सैयद रुहुल्लाह मेहदी ने अनुच्छेद 370 और मुस्लिम सांसद को आंतकी कहने का मुद्दा उठाया तो ओम बिरला नाराज हुए और कहा कि इनको ज्ञान नहीं है. ओम बिरला ने कहा, “माननीय सदस्यगण, ये सदन का पहला दिन है. आप बोलते समय क्या टिप्पणी कर रहे हैं, उसका ध्यान रखो. अभी कार्यकाल को देखो, उसके बाद टिप्पणी करो।
पहले भाषण में आपातकाल की की निंदा
लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने अपने पहले भाषण में कहा, “यह सदन 1975 में आपातकाल लगाने के फैसले की कड़ी निंदा करता है. इसके साथ ही हम उन सभी लोगों के दृढ़ संकल्प की सराहना करते हैं, जिन्होंने आपातकाल का विरोध किया, संघर्ष किया और भारत के लोकतंत्र की रक्षा का दायित्व निभाया।
ओम बिरला ने आगे कहा कि 25 जून 1975 को भारत के इतिहास में हमेशा एक काले अध्याय के रूप में जाना जाएगा. इस दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगाया और बाबा साहेब अंबेडकर द्वारा बनाए गए संविधान पर हमला किया. भारत पूरी दुनिया में लोकतंत्र की जननी के रूप में जाना जाता है. भारत में हमेशा से लोकतांत्रिक मूल्यों और वाद-विवाद का समर्थन किया गया है।
उन्होंने आगे कहा कि लोकतांत्रिक मूल्यों की हमेशा रक्षा की गई है, उन्हें हमेशा प्रोत्साहित किया गया है. ऐसे भारत पर इंदिरा गांधी द्वारा तानाशाही थोपी गई. भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों को कुचला गया और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गला घोंटा गया।
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