काबुल। तालिबान (Taliban) कितना भी उदारता के दावे करता हो लेकिन असली तस्वीर (real picture) कभी ना कभी सामने आ ही जाती है। बुधवार को अफगानिस्तान (Afghanistan) के एक स्टेडियम में फिर उसी तरह सजा दी गई जिस तरह 1990 में तालिबान किया करता था। लोगार के गवर्नर ऑफिस की तरफ से स्टेडियम में लोगों को बुलाया गया था। इसमें आदिवासी नेता, मुजाहिदीन और स्कॉलर मौजूद थे। तालिबान ने सबके सामने 9 पुरुषों और तीन महिलाओं (9 men and three women) को कोड़े (flogged) मरवाए।
सोशल मीडिया पर भी यह आमंत्रण लोगों ने शेयर किया। इसमें लोगों से सुबह 9 बजे इकट्ठा होने को कहा गया था। जिन लोगों को सजा दी गई उन्हें 21 से 39 कोड़े लगाए गए। स्थानीय अदालत ने इन लोगों को व्यभिचार या फिर चोरी का दोषी पाया था। गवर्नर ऑफिस के अधिकारियों ने इस बात की जानकारी दी।
अधिकारियों ने कहा कि इस इवेंट में सैकड़ों लोग शामिल हुए थे। हालांकि यहां फोटो खींचने और वीडयो बनाने पर प्रतिबंध था। बता दें कि तालिबान हमेशा से ही इस्लामिक कानून और शरिया को लागू करने की बात करता रहा है। लोगार के डिप्टी गवर्नर ने कहा था कि अफगानिस्तान की समस्याएं खत्म करने का केवल शरिया कानून ही रास्ता है। बता दें कि 1996 से 2001 तक जब अफगानिस्तान में तालिबानी शासन था तब भी इसी तरह सार्वजनिक रूप से पत्थर मारने की सजा दी जाती थी।
इसके बाद अमेरिका ने दखल दिया और तालिबानियों को खदेड़ दिया गया। हालांकि आज 20 साल बाद वही स्थिति लौट आई है। तालिबान ने दूसरी बार अफगानिस्तान पर कब्जा किया है। हालांकि इस बार उसने वादा किया था कि महिलाओं और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा की जाएगी। इसके अलावा लड़कियों की शिक्षा पर भी रोक टोक नहीं होगी। हालांकि ऐसी खबरें सामने आती रहती हैं जबकि तालिबान महिलाओं की स्वतंत्रता पर हमला करता रहता है।
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