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    स्मार्ट सिटी के पुराने निर्माण किसी काम के नहीं

  • May 15, 2022

    • शी लाउंज और बाईक शेयरिंग की योजनाएँ काम नहीं आ रही

    उज्जैन। स्मार्ट सिटी योजना के तहत अभी तक कई प्रोजेक्ट पूरे हो चुके हैं। करीब आधा दर्जन कार्य ऐसे हैं जो पूरे होने के करीब तीन साल बाद भी आम लोगों के काम नहीं आ पा रहे हैं। दावा किया गया था कि इससे लोगों को फायदा मिलेगा और उनकी सुविधाओं में विस्तार होगा। शहर को स्मार्ट सिटी योजना में चयनित हुए करीब 5 वर्ष हो चुके हैं। इस बीच जहाँ कुछ बड़े प्रोजेक्ट्स को लेकर फील्ड पर काम चल रहा है, वहीं कई छोटे प्रोजेक्ट्स पूरे भी कर लिए गए लेकिन इनका फायदा सीधे जनता को नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में इन योजनाओं की फौरी शुरुआत के बाद प्रोजेक्ट्स के कई संसाधन धूल खा रहे हैं। कुछ स्थान के गलत चयन के कारण जनता के उपयोग में नहीं आ पा रहे हैं तो कुछ की जानकारी आम लोगों तक ठीक से नहीं पहुंच पाई है। कुछ पूरे हो चुके काम तो ऐसे हैं जिनके दावे के मुताबिक शहर के लोग सुविधाएँ प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं। करीब एक करोड़ रुपए की लागत से स्मार्ट सिटी कंपनी ने शुरुआत में ग्रीन वॉल प्रोजेक्ट शुरू किया था। इसमें शहर के प्रमुख स्थान चिन्हित कर वहाँ दीवार बनाकर उस पर पौधों के जरिए सौंदर्यीकरण किया जाना था। प्रदर्शनी के लिए स्मार्ट सिटी कार्यालय की दीवार पर ग्रीन वॉल बनाई गई थी।


    महीनों तक प्रोजेक्ट्स प्रदर्शनी तक ही सीमित रहा था। इसके बाद गिनती के स्थानों पर ही ग्रीन वॉल तैयार की गई गई जिस पर जनता की निगाहें तक नहीं पहुँच पाई। नगर निगम मुख्यालय भवन के बाहर भी ग्रीन वाल के कुछ नमूने लगाए गए थे। इनके पौधे भी अब सूखने लगे हैं। इसी तरह नानाखेड़ा बस स्टैण्ड पर महिलाओं को सुविधा उपलब्ध कराने की दृष्टि से शी लाउंज प्रोजेक्ट शुरू किया गया था। इसमें सुविधा घर के साथ, ड्रेसिंग रूम, वॉश रूम, शॉवर रूम, मिटिंग हॉल, किड जोन, फीडिंग रूम आदि सुविधाएँ बनाई भी गई। इस पर 20 लाख की राशि खर्च की गई। बावजूद इसके शहर का यह पहला शी लाउंज अभी तक फैल ही साबित हुआ है। इसके अतिरिक्त शहरवासियों को जगह-जगह स्वास्थ्य परीक्षण की सुविधा मिलने का दावा करते हुए स्मार्ट सिटी कंपनी ने ई-हेल्थ सेंटर योजना शुरू की थी। इसमें चुनिंदा स्थानों पर कंटेनर रखकर कम्प्यूटरीकृत व्यवस्था के जरिये बेहद कम राशि में किसी भी व्यक्ति की बीपी, शुगर आदि की जांच करने तथा चिकित्सक की सलाह ले सकने के दावे किए गए थे। प्रदर्शनी के लिए बृहस्पति भवन परिसर में एक सेंटर भी स्थापित किया था लेकिन इसका रिस्पांस भी नहीं मिला और प्रोजेक्ट आगे नहीं बढ़ पाया। इसके अतिरिक्त कुछ प्रायोगिक रूप से हेल्थ एटीएम भी शुरू किए थे जो बंद हो गए। लोगों के स्वास्थ्य को सुधारने की दृष्टि से स्मार्ट सिटी कंपनी ने साइकिल के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए बाइक शेयर योजना शुरू की। इसके लिए शुरुआत में 30 स्थानों पर साइकिल स्टैंड स्थापित कर 300 साइकिल चलाई जानी थी। महानंदानगर क्षेत्र में इसे आरंभ भी किया गया लेकिन इसका फायदा भी लोगों को नहीं मिल पाया। कुल मिलाकर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के शुरुआती कई प्रोजेक्ट ऐसे हैं जो पूरे होने के बाद भी नागरिकों के काम नहीं आ सके हैं।

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