बहुत ही बुरे दौर से गुजरती कांग्रेस… अच्छे साथ छोड़ते जा रहे हैं… सिद्धू जैसे सिरफिरे और चन्नी जैसे नौसिखिए गले पड़े जा रहे हैं… सिद्धू राजनीति को खेल बना रहे हैं… जो सामने आ रहे हैं उन्हें गेंद समझकर उछाले जा रहे हैं… अपने प्यादों को बाउंड्री पार पहुंचाए जा रहे हैं… खुद की बाल से हिटविकेट होने की बेवकूफियां करते जुबानी मसखरे सिद्धू ने कैप्टन को मुख्यमंत्री पद से हटवाया तो गली में पड़े चन्नी के हाथों कप्तानी का तोहफा आया… इधर सिद्धू सर खुजा रहे हैं… उधर चन्नी औकात से बड़े मिले पद का बोझ उठा नहीं पा रहे हैं… कल चन्नी ने प्रियंका के मंच पर रहते हुए बिहारी और बाहरियों को बाहर का रास्ता दिखाने का नारा लगाया… उत्तरप्रदेश के भइया को हकालने का फरमान सुनाया… प्रियंका की बेचारगी यह कि वो सर पीटती रह गईं… चन्नी की जुबान वो बात कह गई जो उत्तरप्रदेश में चल रहे चुनाव के आखिरी चरण में कांग्रेस को पलीता लगा गई… उत्तरप्रदेश के भइया को भडक़ा गई… मंच पर रहते हुए कही गई बात पर प्रियंका का विरोध न कर पाना उनकी सहमति बन गया… पंजाब में फायदा मिला या न मिला, बिहार से लेकर यूपी का भइयन जरूर भडक़ गया… इधर चन्नी नादानी दिखा रहे हैं, उधर सिद्धू अहंकार में मरे जा रहे हैं… वर्षों तक कांग्रेस में रहकर देश पर राज करने वाले कांग्रेसी अपने ही दल के पतन पर हैरानी जता रहे हैं… कांग्रेस का अपरिपक्व नेतृत्व न तो दल की साख बचा पा रहा है… न अपने-परायों का भेद समझ पा रहा है.. भाजपा जैसे विशाल दल और मोदी जैसी बुलंद शख्सियत के आगे भाई-बहन के बौने से वजूद का कद हर दिन और घटता जा रहा है… कांग्रेसी भी जानता है कि दल छोडक़र जाएंगे तो किसी दल के नहीं रह पाएंगे और दल में रहेंगे तो दल-दल में धंसते जाएंगे… इसलिए कांग्रेस में ही रहकर बगावत के सुर गुंजाने और अपना पृथक वजूद कायम रखने की होड़ में ग्रुप जी-23 के नेताओं की तादाद बढ़ती जा रही है… यदि कांग्रेस वंशवाद से मुक्त नहीं हो पाई… उसकी वैतरणी के लिए कोई मजबूत नौका नहीं आई… कठोर फैसले लेने वाला और बदमिजाजों पर लगाम लगाने वाला नेतृत्व नहीं उभरा तो कांग्रेस का विनाश तो तय है ही… देश एक मजबूत विपक्ष भी खो देगा.. बेलगाम सत्ता की मनमानी का दंश सहता रहेगा…
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