नई दिल्ली। पूरे देश में पेट्रोल डीजल की कीमतें (Petrol Diesel Price) लगातार तेजी से बढ़ रही है. सप्ताह के आखिरी दिन भी पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ गए. दिल्ली (Delli) में पेट्रोल 39 पैसे बढ़कर अब 90.58 रुपये प्रति लीटर हो गया है. जबकि डीजल प्रति लीटर 37 पैसे महंगा होने के बाद 80.97 रुपये हो गया है. पेट्रोल डीजल के दाम में ये बढ़ोतरी लगातार 12वें दिन और इस महीने 14वीं बार हुई है.
इस समय लगभग हर शहरों में दोनों ईधनों के दाम उच्यतम स्तर (All Time High) पर चल रहे हैं. ज्यादातर शहरों में पेट्रोल 100 रुपये के करीब पहुंच चुका है. अगर मध्यप्रदेश के भोपाल (Bhopal) शहर की बात करें तो XP Petrol 101.51 रुपये पर बिक रहा है. देश की आर्थिक राजधानी मुंबई (MUmbai) में पेट्रोल का भाव 97 रुपए प्रति लीटर पर चला गया है. मुंबई में पेट्रोल की कीमत 97 रुपये प्रति लीटर और डीजल की 88.06 रुपये प्रति लीटर हो गई है. अन्य शहरों में भी पेट्रोल डीजल के दाम रोज नए रिकॉर्ड स्तर को छू रहे हैं.
>> चेन्नई में पेट्रोल 92.59 रुपये और डीजल 85.98 रुपये प्रति लीटर है.
>> बैंगलूरु में पेट्रोल 93.61 रुपये और डीजल 85.84 रुपये प्रति लीटर है.
>> इंदौर में पेट्रोल 99.02 रुपये और डीजल 89.64 रुपये प्रति लीटर है.
>> कोलकाता में पेट्रोल 91.78 रुपये और डीजल 84.56 रुपये प्रति लीटर है.
>> चेन्नई में पेट्रोल 92.59 रुपये और डीजल 85.98 रुपये प्रति लीटर है.
>> बैंगलूरु में पेट्रोल 93.61 रुपये और डीजल 85.84 रुपये प्रति लीटर है.
>> चंडीगढ़ में पेट्रोल 87.16 रुपये और डीजल 80.67 रुपये प्रति लीटर है.
>> पटना में पेट्रोल 92.91 रुपये और डीजल 86.22 रुपये प्रति लीटर है.
>> लखनऊ में पेट्रोल 88.86 रुपये और डीजल 81.35 रुपये प्रति लीटर है.
पिछले 12 दिनों में पेट्रोल के दाम में रोजाना (Rojana) बढ़ोतरी हो रही है, जिससे इसकी यह 03.28 रुपये महंगा (Mahnga) हो गया है. सिर्फ इस साल जनवरी और फरवरी की बात करें तो इतने दिनों मे ही पेट्रोल 6.77 रुपये महंगा हो चुका है. वहीं इन 12 दिनों में डीजल 3.49 रुपये महंगा हो चुका है. भारत में पेट्रोल डीज़ल का खुदरा भाव वैश्विक बाजार में कच्चे तेल के भाव से लिंक है.
इसका मतलब है कि अगर वैश्विक बाजार में कच्चे तेल का भाव कम होता है तो भारत में पेट्रोल डीज़ल सस्ता होगा. अगर कच्चे तेल का भाव बढ़ता है तो पेट्रोल डीज़ल के लिए ज्यादा खर्च करना होगा, लेकिन हर बार ऐसा होता नहीं है. जब वैश्विक बाजार में कच्चे तेल का भाव चढ़ता है तो ग्राहकों पर इसका बोझ डाला जाता है, लेकिन जब कच्चे तेल का भाव कम होता है, उस वक्त सरकार अपनी रेवेन्यू बढ़ाने के लिए ग्राहकों पर टैक्स का बोझ डाल देती है.
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