नई दिल्ली। सरकारी तेल कंपनियां चालू वित्त वर्ष में मुनाफे में आ सकती हैं। रेटिंग एजेंसी फिच ने एक रिपोर्ट में कहा, पिछले वर्ष में इन कंपनियों को घाटा हुआ था, लेकिन अब वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल के सस्ते होने से ये मुनाफे में आ सकती हैं। हालांकि, सस्ते तेल के बावजूद ग्राहकों को कोई फायदा नहीं मिल रहा है, क्योंकि कंपनियां पिछले साल हुए घाटे की भरपाई के लिए लंबे समय से पेट्रोल व डीजल की कीमतों को स्थिर रखी हैं।
फिच ने कहा, अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड की कीमतें उसके अनुमान 78.8 डॉलर प्रति बैरल से नीचे जा चुकी हैं। इससे रिफाइनरी कंपनियों को फायदा होगा। हालांकि, भारतीय रिफाइनरियों का सकल रिफाइनिंग मार्जिन वित्त वर्ष 2023 के रिकॉर्ड उच्च स्तर से वित्त वर्ष 2024 में कम हो जाएगा, क्योंकि उद्योगों की परिस्थितियों में धीमापन आ सकता है। एजेंसी का मानना है कि वित्त वर्ष 2024 में भारत का तेल उत्पादन स्थिर हो जाएगा। वित्त वर्ष 2023 में उत्पादन में 1.7 फीसदी गिरावट आई थी। उस दौरान क्रूड का आयात 10 फीसदी बढ़ गया था।
सात फीसदी रहेगी जीडीपी की गति
एजेंसी ने कहा, अगले कुछ वर्षों तक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) 6-7 फीसदी की दर से बढ़ सकती है। फिच ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि सरकार पिछले कुछ वर्षों से बुनियादी ढांचे की मजबूती पर लगातार भारी खर्च कर रही है और इससे न सिर्फ आर्थिक बल्कि औद्योगिक गतिविधियों में भी तेजी आ रही है। आने वाले समय में इससे पेट्रोल और डीजल की खपत बढ़ने की उम्मीद है। एजेंसी ने अनुमान जताया है कि देश में पेट्रोलियम उत्पादों की मांग मध्यम अवधि में 5-6 फीसदी के बीच रह सकती है।
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