उज्जैन। शिप्रा शुद्घिकरण और शहर को खुले नाले-नालियों से मुक्ति दिलाने के लिए नगर निगम ने चार साल पहले टाटा प्रोजेक्ट्स कंपनी को शहर में भूमिगत सीवरेज लाइन बिछाने का ठेका दिया था। अनुबंध किया था कि कंपनी दो साल में 439 किलोमीटर भूमिगत सीवरेज पाइपलाइन बिछाएगी और सुरासा में 92.5 मिलियन लीटर पर डे (एमएलडी) जल क्षमता का सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाएगी। सभी घरों के टॉयलेट को सीवरेज पाइपलाइन से जोड़ेगी लेकिन टाटा कम्पनी प्रोजेक्ट अनुबंधित समय सीमा में पूरा नहीं हो सका। हालात यह हैं कि कंपनी दो साल में सिर्फ 67 किलोमीटर ही पाइपलाइन बिछा पाई जो कार्य टाटा कम्पनी को 2019 में पूर्ण करना था, जो कि नहीं होने से नगर निगम द्वारा टाटा कम्पनी पर पेलेंट्री लगाकर 2020 दिसम्बर तक की मोहलत दी गई। वर्तमान में अर्थात 2021 लगभग पूर्ण होने पर भी टाटा कंपनी द्वारा सीवरेज पाइपलाइन का काम पूरा नहीं कर पाया है। अभी भी स्थिति यह है कि पूरे शहर में जगह-जगह गड्ढे हो रहे है। पुराने शहर का लगभग 50 प्रतिशत हिस्सा आज भी ऐसा है जहाँ सीवरेज का कार्य अभी शुरू भी नहीं हुआ।
सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का काम भी अधूरा ही रहा है। शिप्रा किनारे बड़ी पाइप लाइन डालने का कार्य भी धीमी गति से चल रहा है। इन सब परिस्थितियों को देखते हुए ऐसा प्रतीत होता है कि टाटा कंपनी 2022 में भी सीवरेज का कार्य पूर्ण नहीं कर पाएगी। जानकारों का कहना है कि टाटा कंपनी द्वारा समय पर कार्य पूर्ण नहीं करने का कारण यह है कि टाटा कंपनी में सीवरेज का प्रोजेक्ट तो अपने नाम से ले लिया है लेकिन वास्तविक में टाटा कंपनी ने शहर के अनेक हिस्सों में अलग-अलग छोटी छोटी कंपनियों को प्रोजेक्ट दे दिए हैं जिसके कारण से छोटी छोटी कंपनियों या ठेकेदारों के पास संसाधन की कमी के कारण सीवरेज का कार्य दिनोंदिन लंबित होता जा रहा है। छोटी कंपनी और ठेकेदार उस मानक गुणवत्ता का कार्य भी नहीं कर पा रहे हैं। नतीजतन शहर में पाइप लाइन डालने के बाद सीमेंट कंक्रीट का कार्य कई जगह नहीं किया गया और जहां किया गया है, वह निम्न स्तर का होने की वजह से उखड़ रहा है। कहीं-कहीं ड्रेनेज पाइप लाइन का लेवल सही नहीं होने की वजह ड्रेनेज बॉक्स ऊपर नीचे लगे हुए हैं जिसके कारण से आए दिन सड़कों पर हादसे होते रहते हैं और कुछ हादसों में लोगों की जान भी गई है। ऐसे में सवाल ये उठता है कि शासन प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी टाटा कंपनी द्वारा मानक आधार पर एवं समय सीमा के आधार पर कार्य नहीं किए जाने के बावजूद आवश्यक कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। 2 साल में जो कार्य पूर्ण किया जाना था वह कार्य 4 साल में भी पूर्ण नहीं किया जा सका जिसका खामियाजा शहर की जनता को भुगतना पड़ रहा है और जिम्मेदार जनप्रतिनिधि भी मूकदर्शक बने हुए हैं। उज्जैन शहर में टाटा कंपनी द्वारा सीवरेज प्रोजेक्ट 2019 में पूर्ण कर लिया जाना था लेकिन 2021 खत्म होने को है और सीवरेज प्रोजेक्ट का कार्य लगभग 30 प्रतिशत से भी ज्यादा बचा हुआ है। ऐसे में टाटा कंपनी इस प्रोजेक्ट को पूर्ण करने में कितने साल और लगाएगी कहना मुश्किल है। शासन प्रशासन के नुमाइंदे इस मामले पर कुछ भी कहने से बचते नजर आ रहे हैं।