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    स्कूल छोडऩे वाले बच्चों को ढूढऩे निकलेंगे अफसर

  • July 22, 2022

    • राज्य शासन ने पढ़ाई निरंतर रखने के दिए निर्देश, जिला शिक्षा अधिकारियों को बनाया नोडल

    भोपाल। राज्य शासन ने शाला त्यागने वाले ऐसे बच्चे, जिनके अभिभावक में से कोई एक या दोनों की मृत्यु मार्च 2020 के बाद हुई है, की शिक्षा निरंतर रखने के संबंध में निर्देश जारी किए हैं। माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के पालन में लोक शिक्षण संचालनालय ने इस कार्य के लिए सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को नोडल अधिकारी नियुक्त किया है।
    सभी नोडल अधिकारी राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के 25 जून 2021 को जारी आदेश का पालन किया जाना सुनिश्चित करेंगे। जो विद्यार्थी अभिभावक की मृत्यु के कारण किसी अन्य स्थान पर जाकर शिक्षा पूरी करना चाहते हैं उनके स्थानांतरण प्रमाण-पत्र जारी करना सुनिश्चित किए जाएंगे। विद्यार्थियों के हित में सभी नोडल अधिकारी शाला त्यागी विद्यार्थियों को उन्हीं स्कूलों में वापस प्रवेश दिलाने का प्रयास करेंगे जहाँ अभिभावक की मृत्यु के पहले वे पढ़ते थे।


    ये बच्चे माने जाएंगे शाला त्यागी
    शाला त्यागी वे बच्चे माने जायेंगे जो नियमित रूप से 30 दिनों से शाला से अनुपस्थित रहे, जिन्होंने शालाओं में कभी प्रवेश ही नहीं लिया, शाला में एक बार प्रवेश लेने के बाद 8 वर्ष की अनिवार्य शिक्षा ग्रहण नहीं की और 14 वर्ष से अधिक उम्र के ऐसे विद्यार्थी, जो शिक्षा के अधिकार अधिनियम के अंतर्गत तो नहीं आते हैं परंतु अभिभावक की मृत्यु के कारण जिन्होंने पढ़ाई छोड़ दी है। सभी जिला शिक्षा अधिकारी ऐसे विद्यार्थियों की मैपिंग करते हुए और उनके शाला त्यागी होने के कारणों का विश्लेषण करते हुए उनकी शिक्षा पूरी कराएंगे।

    बाल सेवा योजना में करेंगे शामिल
    कोविड काल में अभिभावक की मृत्यु होने पर प्राइवेट स्कूल में पढ़ रहे विद्यार्थियों की पढ़ाई निरंतर रखने के लिए मुख्यमंत्री कोविड-19 बाल सेवा योजना में व्यवस्था की जा रही है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के पालन की नियमित समीक्षा करने के लिए एक पोर्टल बनाया जा रहा है। सभी नोडल अधिकारी इस पोर्टल पर शाला त्यागी बच्चों की पढ़ाई की निरंतरता के बारे में जानकारी अपडेट करेंगे।

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