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भोपाल। राजधानी में एक तरफ तो लॉ एन्ड आर्डर (law and order) की दुआई देकर यहां पोस्टिंग (Posting) से बचने के कई अधिकारी दावा करते हैं। वहीं शहर में आधा दर्जन से अधिक ऐसे DSP हैं जो भोपाल में दो से तीन बार तक पोस्टिंग (Posting) करा चुके हैं। मनचाही पोस्टिंग (Posting) को लेकर उन्होंने अधिकारियों से लेकर राजनेताओं के दरबार में तमाम पापड़ बेले हैं। अखिर भोपाल से इन अधिकारियों का मोह क्यों भंग नहीं हो रहा यह एक बड़ा सवाल है।
जानकारी के अनुसार डीएसपी ट्रैफिक सुशील तिवारी (DSP Traffic Sushil Tiwari) जिले से बाहर किए जाने के बाद यहां दूसरी पारी खेल रहे हैं। इसी प्रकार ट्रैफिक डीएसपी अजय पंवार (Traffic DSP Ajay Panwar) की भी भोपाल में दूसरी पारी है। एसडीओपी बैरसिया केके वर्मा (SDOP Barasia KK Verma) की यह तीसरी पारी है, पहली बार में उन्हें जिले से बाहर किया गया, घूमकर एसडीओपी बैरसिया बने। दूसरी बार फिर जुगत लगाई और लौटने में कामयाब हुए, हालांकि चंद दिनों में उन्हें एक बार फिर बैरसिया से हटाया गया। जिसके बाद उन्होंने कोर्ट की शरण ली और ट्रांसफर को नियम विरुद्ध बताया। लंबी लड़ाई लडऩे के बाद वह तीसरी बार बैरसिया में आने में कामयाब हो गए और अपनी जिम्मेदारी संभाले हुए हैं। टीटी नगर सीएसपी उमेश तिवारी भी दूसरी बार भोपाल में पदस्थ किए गए हैं। एक सीएसपी कुछ दिन पूर्व ही भोपाल (Bhopal) से हटाए गए हैं, वह एक बार फिर बतौर जहांगीराबाद सीएसपी नई पारी खेलने के इरादे में हैं। इसके लिए वह जमकर अपनी राजनेतिक पहुंच का इस्तमाल कर रहे हैं। वहीं निशातपुरा सीएसपी मिसरोद में पदस्थ रहे। जुगत लगाई और निशातपुरा सीएसपी बनने में कामयाब रहे। सीएसपी एमपी नगर नागेंद्र सिंह बैस एसडीओपी बैरागढ़ रहे, जिले के बाहर किए गए। कुछ समय सीहोर जिले में काटा और यहां लौट आए। सीएसपी हबीबगंज वीरेंद्र मिश्रा गोविंदपुरा में जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। सीहोर में पदस्थ किए गए। कुछ समय वहां काटा और भोपाल लौट आए। एसडीओपी बैरागढ़ अंतिमा समाधिया भोपाल में ही ट्रैनी रहीं और अपनी पहली पोस्टिंग यहां कराने में कामयाब रहीं।
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