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    लोकायुक्त के Notice से अफसरों के हाथ-पांव फूले

  • June 22, 2021

    • 28 जून को जीएडी के एसीएस को किया तलब
    • भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 में धारा 17-ए जोडऩे का मामला

    भोपाल। राज्य शासन (State Government) ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 (Prevention of Corruption Act 1988) में धारा 17-ए जोड़कर भ्रष्टाचार की जांच करने वाली दोनों प्रमुख एजेंसी लोकायुक्त एवं ईओडब्ल्यू (Lokayukta and EOW) पर शिकंजा कसने की कोशिश थी। इस नियम के तहत भ्रष्टाचार (Corruption) मामले में किसी भी अधिकारी एवं कर्मचारी के खिलाफ जांच करने या केस दर्ज करने से पहले एजेंसी को प्रशासकीय विभाग अनिवार्य रूप से अनुमति लेनी होती है। अब इस मामले में लोकायुक्त (Lokayukta) ने नोटिस (Notice) जारी कर सामान्य प्रशासन विभाग के अपर मुख्य सचिव को 28 जून को तलब किया है। लोकायुक्त (Lokayukta) के पत्र से सामान्य प्रशासन विभाग के अफसरों में हड़कंप मचा हुआ है।
    लोकायुक्त (Lokayukta) ने GAD को भेजे पत्र में कहा है कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 (Prevention of Corruption Act 1988) में धारा 17-ए जोडऩे से पहले सरकार ने एक्ट में संशोधन किया है या नहीं। बिना एक्ट बदले धारा 17-ए कैसे जोड़ दी गई। क्यों न इस मामले में आप (जीएडी के अधिकारी) के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज किया जाए। दरअसल, सामान्य प्रशासन विभाग ने भारत सरकार के केद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्रालय के एक नियम का हवाला देकर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 में धारा 17-ए जोड़कर 26 दिसंबर 2020 को एक आदेश जारी किया था। जिसके अंतर्गत अन्वेषण एजेंसी (लोकायुक्त एवं ईओडब्ल्यू (Lokayukta and EOW) का प्रमुख भ्रष्टाचार अधिकारी एवं कर्मचारी के खिलाफ जांच करने या पूछताछ करने से पहले संबंधित सभी दस्तावेज प्रशासकीय विभाग को भेजेगा। विभाग की अनुमति मिलने के बाद ही जांच एवं पूछताछ की जाएगी। सामान्य प्रशासन विभाग के इस आदेश पर लोकायुक्त ने नाराजगी जताई है और इस मामले में अपना पक्ष रखने के लिए 28 जून को अपर मुख्य सचिव सामान्य प्रशासन विभाग को उपस्थित होने को कहा है।

    अफसरों ने सीएम से छिपाया कानूनी पक्ष
    सूत्रों के अनुसार सामान्य प्रशासन विभाग ने 26 दिसंबर 2020 को लोकायुक्त एवं ईओडब्ल्यू पर शिकंजा कसने के लिए जो पत्र जारी किया था, उसके लिए मुख्यमंत्री से एप्रूवल तो लिया गया था। लेकिन अफसरों ने मुख्यमंत्री से कानूनी पक्ष छिपाया था। लोकायुक्त के पत्र के अनुसार इसके लिए शासन को एक्ट में संशोधन करना था, लेकिन अफसरों ने बिना एक्ट बदले ही कानून में धारा जोड़ दी थी। अब लोकायुक्त के नोटिस पे अफसरों में हड़कंप मचा हुआ है।

    भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में धारा जोडऩे वाले मामले में लोकायुक्त से पत्र आया है। लोकायुक्त ने 28 जून को जवाब पेश करने को कहा है।
    श्रीनिवास शर्मा, सचिव, सामान्य प्रशासन विभाग

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